Shringar Gauri
श्रृंगार गौरी
चौथे दिन शृंगार गौरी के पूजन की मान्यता है। इन भगवती का विग्रह ज्ञानवापी परिसर में स्थित है। शक्ति के उपासक इस दिन कूष्मांडा देवी की आराधना करेंगें। मां दुर्गा का मंदिर दुर्गाकुंड क्षेत्र में स्थित है।
काशी खंड अध्याय १०० के अनुसार काशी में चैत्र नवरात्र पर नौ गौरी के दर्शन और पूजन का विधान है। काशी में जहां नौ दुर्गा विराजती हैं, वहीं नौ गौरी के मंदिर भी भक्तों की आस्था से प्रतिध्वनित होते रहे हैं। चैत्र नवरात्र में नौ गौरी के दर्शन का विधान है।
स्कन्दपुराण खण्डः ४ (काशीखण्ड) - अध्यायः १००
अतः परं प्रवक्ष्यामि गौरीं यात्रामनुत्तमाम्।। शुक्लपक्षे तृतीयायां या यात्रा विष्वगृद्धिदा ।। ६७ ।।
गोप्रेक्षतीर्थे सुस्नाय मुखनिर्मालिकां व्रजेत् ।। ज्येष्ठावाप्यां नरः स्नात्वा ज्येष्ठागौरीं समर्चयेत् ।।६८।।
सौभाग्यगौरी संपूज्या ज्ञानवाप्यां कृतोदकैः।। ततः शृंगारगौरीं च तत्रैव च कृतोदकः ।। ६९ ।।
स्नात्वा विशालगंगायां विशालाक्षीं ततो व्रजेत् ।। सुस्नातो ललितातीर्थे ललितामर्चयेत्ततः ।।७०।।
स्नात्वा भवानीतीर्थेथ भवानीं परिपूजयेत् ।। मंगला च ततोभ्यर्च्या बिंदुतीर्थकृतोदकैः ।। ७१ ।।
ततो गच्छेन्महालक्ष्मीं स्थिरलक्ष्मीसमृद्धये ।। इमां यात्रां नरः कृत्वा क्षेत्रेस्मिन्मुक्तिजन्मनि ।। ७२ ।।
न दुःखैरभिभूयेत इहामुत्रापि कुत्रचित् ।। कुर्यात्प्रतिचतुर्थीह यात्रां विघ्नेशितुः सदा ।। ७३ ।।
इसके बाद मैं शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को की जाने वाली उत्तम गौरी यात्रा का वर्णन करूँगा। यह सभी ऐश्वर्य प्रदान करता है। गोप्रेक्ष में पूरी तरह से स्नान करने के बाद एक भक्त मुखनिर्मलिका को जाना चाहिए। ज्येष्ठावापी में स्नान करने के बाद पुरुष को ज्येष्ठागौरी की पूजा करनी चाहिए। सौभाग्यगौरी की पूजा उन लोगों द्वारा की जानी चाहिए जिन्होंने ज्ञानवापी वापी में जलीय संस्कार किए हैं। फिर वहीं पर वही कर्म करने के बाद उन्हें श्रृंगारगौरी की पूजा करनी चाहिए। विशालगंगा में स्नान करने के बाद उन्हें विशालाक्षी की ओर प्रस्थान करना चाहिए। ललिता तीर्थ में विधिनुसार स्नान करने के बाद भक्त को ललिता की पूजा करनी चाहिए। भवानी तीर्थ में स्नान करने के बाद भवानी की पूजा करनी चाहिए। तब मंगला की पूजा उन भक्तों द्वारा की जानी चाहिए जिन्होंने बिंदु तीर्थ के जल से जल संस्कार किया है। तत्पश्चात् ऐश्वर्य में निरन्तर वृद्धि के उद्देश्य से उसे महालक्ष्मी के पास जाना चाहिए। इस पवित्र स्थान पर तीर्थयात्रा करने से जो मोक्ष का कारण बनता है, किसी भी व्यक्ति को न तो यहाँ और न ही भविष्य में दुखों का सामना करना पड़ेगा।
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श्रृंगार गौरी का विग्रह ज्ञानवापी परिसर में स्थित है।
The idol of Shringar Gauri is situated in the Gyanvapi campus.
For the benefit of Kashi residents and devotees:-
From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey
Kamakhya, Kashi 8840422767
Email : sudhanshu.pandey159@gmail.com
काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-
प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय कामाख्या, काशी 8840422767 ईमेल : sudhanshu.pandey159@gmail.com