Shultankeshwar (शूलटंकेश्वर)

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Shultankeshwar
शूलटंकेश्वर

काशीखण्डः अध्यायः ६९

प्रयागात्तीर्थराजाच्च शूलटंको महेश्वरः ।। तीर्थराजेन सहितः स्थित आगत्य वै स्वयम्।। ३९ ।।
निर्वाणमंडपाद्रम्यादवाच्यामतिनिर्मलः ।। प्रासादो मेरुणा यस्य स्पर्धते कांचनोज्वलः ।। ४० ।।
देवेनैव वरो दत्तो यत्र पूर्वं युगांतरे ।। पूज्यो महेश्वरः काश्यां प्रथमं कलुषापहः ।। ४१ ।।
यः प्रयाग इह स्नातो नमस्यति महेश्वरम् ।। समभ्यर्च्य विधानेन महासंभारविस्तरैः ।। ४२ ।।
प्रयागस्नानजात्पुण्याच्छूलटंक विलोकनात् ।। स प्राप्नुयान्न संदेहः पुण्यं कोटिगुणोत्तरम् ।। ४३ ।।

प्रयाग से, तीर्थों के राजा, शूलटंक नाम के महेश्वर स्वयं तीर्थराज के साथ स्वयं यहाँ (काशी)आए और सुंदर निर्वाणमंडप के दक्षिण में रुके। भगवान का शुद्ध भवन मेरु पर्वत से भी ऊंचा है। यह सोने के समान दीप्तिमान है। यह पिछले युग में स्वयं भगवान द्वारा दिया गया वरदान है। काशी में सर्वप्रथम महेश्वर की पूजा करनी चाहिए। वह सभी पापों को दूर करतें है।

जो यहाँ प्रयाग (प्रयाग घाट) में पवित्र स्नान करता है, पूजा करने के बाद महेश्वर (शूलटंकेश्वर) को पूजा करता है, शूलटंकेश्वर के दर्शन करता है, उनकी सेवा फूल, फल, नैवेद्य आदि कई उपचार से करता है  निस्संदेह मूल प्रयागराज में पवित्र स्नान से उत्पन्न होने वाले पुण्य से करोड़ों गुना अधिक काशी में ही प्राप्त करता है।


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शूलटंकेश्वर मंदिर प्रयाग घाट पर स्थित है।
Shooltankeshwar Temple is situated at Prayag Ghat.

For the benefit of Kashi residents and devotees:-

From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey 

Kamakhya, Kashi 8840422767 

Email : sudhanshu.pandey159@gmail.com


काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-                                                   

प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय                            कामाख्याकाशी 8840422767                        ईमेल : sudhanshu.pandey159@gmail.com


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