Kikseshwar
कीकसेश्वर (मोटे महादेव)
काशीखण्डः अध्यायः १००
गोकर्णेश्वरमभ्यर्च्य हाटकेशमथो व्रजेत् ।। अस्थिक्षेप तडागे च दृष्ट्वा वै कीकसेश्वरम् ।। ८३ ।।
भारभूतं ततो नत्वा चित्रेगुप्तेश्वरं ततः ।। चित्रघंटां प्रणम्याथ ततः पशुपतीश्वरम् ।। ८४ ।।
पितामहेश्वरं गत्वा ततस्तु कलशेश्वरम् ।। चंद्रेशस्त्वथ वीरेशो विद्येशोग्नीश एव च ।।८५।।
नागेश्वरो हरिश्चंद्रश्चिंतामणिविनायकः ।। सेनाविनायकश्चाथ द्रष्टव्यः सर्वविघ्नहृत् ।। ८६ ।।
निम्नलिखित का दर्शन, पूजन करते हुए उन्हें नमन करना चाहिए: गोकर्णेश्वर, हाटकेश्वर, कीकशेश्वर उस झील में जहाँ अस्थियाँ डाली जाती हैं (अस्थिक्षेप), भारभुतेश्वर, चित्रगुप्तेश्वर, चित्रघण्टा, पशुपतिश्वर, पितामहेश्वर, कलशेश्वर, चंद्रेश्वर, वीरेश्वर, विद्येश्वर, अग्निशेश्वर, नागेश्वर , हरिश्चंद्रेश्वर, चिंतामणि विनायक और सेना विनायक, सभी बाधाओं को दूर करने वाले।
स्कंदपुराण के काशी खंड के अनुसार, प्राचीन काल में यहाँ एक झील हुआ करती थी, जिसमें अस्थियाँ डाली जाती थीं। उस समय इस झील का नाम "अस्थिक्षेप कुंड" था, और इसका विस्तार वर्तमान के राजदरवाजा तक था। समय के साथ यह कुंड लुप्त हो गया। पुराने नाम को बनाए रखते हुए, हड्डी को बोलचाल की भाषा में 'हाड़' कहा जाने लगा। कुंड के पाटने के बाद यहाँ यात्रियों के ठहरने के लिए एक व्यवसाय पनपा, जिससे यह स्थान 'सराय' के रूप में विकसित हुआ। इसी कारण 'हड्डी का हाड़' और 'सराय' मिलकर 'हाड़हा' या 'हड़हा सराय' (विकृत रूप में) नाम से प्रसिद्ध हुआ।
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कीकसेश्वर का मंदिर हाड़हा सराय में है। (FOLLOW GPS)
The temple of Keekeshwar is in Hadha Sarai. (FOLLOW GPS)
For the benefit of Kashi residents and devotees : -
From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey - Kamakhya, Kashi
From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey - Kamakhya, Kashi
काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-
प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय - कामाख्या, काशी
प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय - कामाख्या, काशी
॥ हरिः ॐ तत्सच्छ्रीकृष्णार्पणमस्तु ॥