Vedeshwar
वेदेश्वर
काशीखण्डः अध्यायः ९७
तस्य संपूजनान्मर्त्यो विज्वरो जायते क्षणात् ।। प्राच्यां वेदेश्वरस्तस्य चतुर्वेदफलप्रदः ।। १४ ।।
वेदेश्वरादुदीच्यां तु क्षेत्रज्ञश्चादिकेशवः ।। दृष्टं त्रिभुवनं सर्वं तस्य संदर्शनाद्ध्रुवम् ।। १५ ।।
संगमेश्वरमालोक्य तत्प्राच्याम जायतेनघः ।। चतुर्मुखेन विधिना तत्पूर्वेण चतुर्मुखम् ।। १६ ।।
प्रयागसंज्ञकम लिंगमर्चितम ब्रह्मलोकदम् ।। तत्र शांतिकरी गौरी पूजिता शांतिकृद्भवेत् ।। १७ ।।
इनकी पूजा करने से मनुष्य तुरंत ज्वर से मुक्त हो जाता है। इसके पूर्व में वेदेश्वर हैं, जो चारों वेदों के पाठ के पुण्य के दाता हैं। वेदेश्वर के उत्तर में क्षेत्रज्ञ (ईश्वर) और आदिकेशव हैं। इसके दर्शन करने से तीनों लोकों का दर्शन अवश्य होता है। इसके पूर्व में संगमेश्वर के दर्शन करने से व्यक्ति निष्पाप हो जाता है। ब्रह्मा द्वारा स्थापित प्रयाग नामक चार मुख वाला लिंग, चतुर्मुख भगवान, पूजा करने पर ब्रह्मा की दुनिया को प्रदान करते हैं। यदि वहां शांति की जन्मदाता गौरी की पूजा की जाती है, तो वह शांति लाती है।
GPS LOCATION OF THIS TEMPLE CLICK HERE
For the benefit of Kashi residents and devotees:-
From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey
Kamakhya, Kashi 8840422767
Email : sudhanshu.pandey159@gmail.com
काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-
प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय
कामाख्या, काशी 8840422767
ईमेल : sudhanshu.pandey159@gmail.com