Jambukeswar
(जंबुकेश्वर)
(जंबुकेश्वर)
जंबुक : गीदड़, श्रृगाल
स्कन्दपुराणम्/खण्डः_४_(काशीखण्डः)/अध्यायः ९७
ह्रदपश्चिमतो लिंगं शौनकेशं सुधीप्रदम् ॥ ह्रदे तत्र नरः स्नात्वा दृष्ट्वा वै शौनकेश्वरम् ॥ १५८ ॥
ज्ञानं तत्संलभेद्दिव्यं येन मृत्युं तरत्यसौ । तद्दक्षिणे जंबुकेशस्तिर्यग्योनि निवारकः ॥१५९॥
ह्रद के पश्चिम में शौनकेश नामक लिंग उत्कृष्ट बुद्धि प्रदान करता है। एक भक्त को वहाँ के सरोवर में स्नान करना चाहिए और शौनकेश्वर के दर्शन करने चाहिए। उसे वह दिव्य ज्ञान प्राप्त होगा जिससे वह मृत्यु को पार कर जायेगा। शौनकेश्वर के दक्षिण में जंबुकेश्वर हैं जो तिर्यग्योनि (पशुपक्षी आदि प्रजातियों) में जन्म को रोकते हैं।
स्कन्दपुराणम्/खण्डः_४_(काशीखण्डः)/अध्यायः १००
जंबुकेशं महालिंगं कृत्वा यात्रामिमां नरः। क्वचिन्न जायते भूयः संसारे दुःखसागरे ॥६०॥
लिङ्गपुराणम् (पूर्वभाग) - अध्यायः ९२
पुरा जंबुकरूपेण असुरो देवकंटकः। ब्रह्मणो हि वरं लब्ध्वा गोमायुर्बंधशंकितः ॥९५॥
निहतो हिमवत्पुत्रि जंबुकेशस्ततो ह्यहम् । अद्यापि जगति ख्यातं सुरासुरनमस्कृतम् ॥९६॥
दृष्ट्वैनमपि देवेशं सर्वान्कामानवाप्नुयात् । ग्रहैः शुक्रपुरोगैश्च एतानि स्थापितानि ही ॥९७॥
पूर्व में, एक असुर जो देवताओं के लिए कंटक था, उसने जम्बुक (सियार, गीदड़, श्रृगाल) का रूप धारण कर लिया। वह जंबुक (सियार ने काशी में अत्यधिक उत्पात किया) दूसरों के द्वारा पकड़े जाने में सक्षम नहीं था क्योंकि उसने ब्रह्मा से वरदान प्राप्त किया था। हे हिमवान पुत्री! वह यहीं (काशी में) मेरे द्वारा मारा गया था और इसलिए मुझे आज भी जंबुकेश्वर कहा जाता है। मैं देवताओं और असुरों द्वारा वन्दित माना जाता हूँ। देवों के इस देव के दर्शन करने से व्यक्ति को सभी मनोकामनाएं प्राप्त हो जाती हैं।
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जम्बुकेश्वर K-58/101, लोहटिया बड़ा गणेश में स्थित है।
Jambukeswar is located at K-58/101, Lohatia Bada Ganesh..
For the benefit of Kashi residents and devotees:-
From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey - Kamakhya, Kashi
काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-
प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय - कामाख्या, काशी
॥ हरिः ॐ तत्सच्छ्रीशिवार्पणमस्तु ॥