Mahavrateshwar
(महाव्रतेश्वर)
स्कन्दपुराण : काशीखण्ड
महाव्रतं महालिंगं महेंद्रादिह संस्थितम् ।। स्कंदेश्वर समीपे तु महाव्रतफलप्रदम् ।।६९.२५।।
वृंदारकर्षिवृंदानां स्तुवतां प्रथमे युगे ।। उत्पन्नं यन्महालिंगं भूमिं भित्त्वा सुदुर्भिदाम् ।।६९.२६।।
महादेवेति तैरुक्तं यन्मनोरथपूरणात ।। वाराणस्यां महादेवस्तदारभ्याभवच्च यत् ।।६९.२७।।
मुक्तिक्षेत्रं कृतं येन महालिंगेन काशिका ।। अविमुक्ते महादेवं यो द्रक्ष्यत्यत्रमानवः ।।६९.२८।।
महान महाव्रत लिंग महेंद्र पर्वत से यहाँ आये है। यह स्कंदेश्वर के समीप है। यह महान व्रतों (पवित्र अनुष्ठानों और व्रतों) का पुण्य प्रदान करता है। प्रथम युग यानी कृतयुग (सतयुग) में जब दिव्य ऋषियों के समूह प्रार्थना कर रहे थे, तो जमीन (जिसे तोड़ना बहुत कठिन था) को छेदने के पश्चात एक महान लिंग प्रकट हुआ। चूँकि उनकी इच्छा पूरी हो गई, इसलिए उन्होंने इसे "महादेव" घोषित किया। तभी से यह काशी में महादेव बन गये। उस महान लिंग द्वारा काशी को मोक्ष का पवित्र स्थान बनाया गया था। जो व्यक्ति यहां अविमुक्त में महादेव के दर्शन करता है, वह निश्चित रूप से शंभु के लोक में जाएगा, जहां भी उसकी मृत्यु हो। जो लोग मोक्ष की इच्छा रखते हैं उन्हें अविमुक्त में उस लिंग का सहारा लेना चाहिए।
GPS LOCATION OF THIS TEMPLE CLICK HERE
महाव्रतेश्वर लिंग आदि महादेव मंदिर परिसर ए-3/92 त्रिलोचन घाट पर स्थित है।
Mahavrateshwar Linga is situated at Adi Mahadev Temple Complex A-3/92 Trilochan Ghat.
For the benefit of Kashi residents and devotees:-
From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey
Kamakhya, Kashi 8840422767
Email : sudhanshu.pandey159@gmail.com
काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-
प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय
कामाख्या, काशी 8840422767
ईमेल : sudhanshu.pandey159@gmail.com