Sima Vinayak
सीमा विनायक
स्कन्दपुराण : काशीखण्ड
।। सीमाविनायकं चाथ करुणेशं ततो व्रजेत् ।।
।। अग्निबिंदुरुवाच ।। अग्निबिंदु ने कहा:
विष्णो कियत्परीमाणा पुण्यैषा मणिकर्णिका । ब्रूहि मे पुंङरीकाक्ष नत्वत्तस्तत्त्ववित्परः ।।
हे विष्णु, इस मेधावी मणिकर्णिका का विस्तार क्या है? हे कमलनयन, मुझे बताइये। इस विषय में आपसे बढ़कर सत्य का ज्ञान रखने वाला दूसरा कोई नहीं है।
।। श्रीविष्णुरुवाच ।। श्री विष्णु ने कहा:
आगंगा केशवादा च हरिश्चंद्रस्य मंडपात् । आमध्याद्देवसरितः स्वर्द्वारान्मणिकर्णिका ।।
मणिकर्णिका का विस्तार गंगाकेशव से हरिश्चंद्र के मंडप तक और दिव्य नदी (गंगा) के मध्य से लेकर स्वरद्वार तक है।
सीमाविनायकश्चात्र मणिकर्णी ह्रदोत्तरे । सीमाविनायकं भक्त्या पूजयित्वा नरोत्तमः ।।
मोदकैः सोपचारैश्च प्राप्नुयान्मणिकर्णिकाम् । हरिश्चंद्रे महातीर्थे तर्पयेयुः पितामहान् ।।
सीमाविनायक (सीमा पर विनायक) मणिकर्णिका हृद (पुष्करणी) के उत्तर में है। आवश्यक सेवाओं के साथ मोदकों (मिठाइयों) के माध्यम से सीमाविनायक की श्रद्धापूर्वक पूजा करने के पश्चात, एक उत्कृष्ट व्यक्ति को मणिकर्णिका जाना चाहिए। भक्तों को महान हरिश्चंद्र तीर्थ में पितरों का तर्पण करना चाहिए।
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सीमा विनायक वशिष्ठ, वामदेव तथा याज्ञ्यवल्क्य के समीप निचे मढ़ी में स्थित है। वर्त्तमान संकठा जी मंदिर की ईशान दिशा की दिवार।
Seema Vinayak is located in the lower Marhi near Vashishtha, Vamdev and Yagyavalkya. The north wall of the present Sankathaji temple.
For the benefit of Kashi residents and devotees:-
From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey - Kamakhya, Kashi
काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-
प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय - कामाख्या, काशी