Bhimchandi (भीमचंडी, वाराणसी)

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Bhimchandi

भीमचंडी, वाराणसी

काशी में दो भीमचंडी देवी हैं। प्रथम जो भीमाशंकर महादेव (काशी करवत) में स्थित हैं। इनके हाथ में पाश तथा मुद्गर (लकड़ी का हथौड़ा) है। ऊपर खण्डोक्त मूर्ति के चित्र को देखने के पश्चात यह स्पष्ट है कि भीमचंडी देवी के बाएं हाथ में पाश तथा अन्य हाथ में मुद्गर धारण किये हुए (लकड़ी का हथौड़ा) हैं। इनके साथ भैरव अपने वाहन श्वान (कुत्ते) के साथ हैं दूसरी देवी काशी के नैऋत्य दिशा में (दक्षिणी भाग) में स्थित है। इनके नाम पर ही वहां विनायक को भीमचण्ड विनायक के नाम से स्कंदपुराण काशीखंड में संबोधित किया जाता है। नीचे श्लोकों के माध्यम से इन दोनों देवियों के स्थान के भिन्नता का पता चलता है

काशी पंचक्रोशी पर जितने भी देवता चौहद्दी पर बैठे हैं, सभी क्षेत्र रक्षक हैं। यह समस्त देवी-देवता पंचक्रोशात्मक ज्योतिर्लिंग तथा इसमें वास करने वाले प्राणियों की सदैव रक्षा करते हैं। (पंचक्रोश सम्पूर्ण काशी तथा वरणा असि के मध्य वाराणसी है) 

स्कन्दपुराण : काशीखण्ड

भीमचंड्युत्तरद्वारं सदा रक्षेदतंद्रिता । भीमेश्वरस्य पुरतः पाशमुद्गरधारिणीम् ।।
भीमचंडीं नरो दृष्ट्वा भीमकुंडे कृतोदकः । भीमाकृतीन्न वै पश्येद्याम्यान्दूतान्क्वचित्कृती ।।
सदैव सतर्क, भीमचंडी उत्तरी प्रवेश द्वार की रक्षा करती हैं एक भक्त को भीमेश्वर के सामने पाश और हथौड़ी (मुद्गर या मुँगरी (mallet) एक प्रकार का हथौड़ा है जो प्रायः लकड़ी का बना होता है।) लेकर खड़ी भीमचंडी के दर्शन करने चाहिए, और भीमकुंड में जल तर्पण जैसे सभी अनुष्ठान करने चाहिए। वह संतुष्ट और धन्य हो जाएगा। उसे कभी भी कहीं भी अत्यधिक भयानक रूप और आकार वाले यम के दूत नहीं दिखेंगे। [स्कन्दपुराण (काशीखंड) - अध्याय ७०-७२/७३]

भीमचंडी समीपे तु भीमचंडविनायकः ।। क्षेत्रनैर्ऋतदेशस्थो दृष्टो हंति महाभयम् ।।
भीमचण्डी के निकट पवित्र स्थान (काशी) के दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य) में भीमचण्डविनायक है। उनके दर्शन करने से महान् भय दूर हो जाता है। [स्कन्दपुराण (काशीखंड) - अध्याय ५७/६१)]


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भीमचंडी देवी (वाराणसी), भीमाशंकर महादेव (काशी करवत) मंदिर परिसर CK.31/12 में स्थित है।
Bhimchandi Devi (Varanasi) is located in the Bhimashankar Mahadev (Kashi Karvat) temple complex at CK.31/12.

For the benefit of Kashi residents and devotees:-

From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey - Kamakhya, Kashi


काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-                                                   

प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय - कामाख्याकाशी


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