Hayagriva Keshav (हयग्रीव केशव)

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Hayagriva Keshav

हयग्रीव केशव

हयग्रीव का अर्थ : हय :- अश्व (घोड़ा) , ग्रीवा : गर्दन (गला)

हयग्रीव 

कल्पान्त में जब यह पृथ्वी जलमग्न हो गयी तब विष्णु को पुन: जगत सर्जन का विचार हुआ। वह जगत की विविध विचित्र रचना का विषय सोचते हुए योगनिद्रा का अवलम्बन कर जल में सो रहे थे। कुछ समय के पश्चात् भगवान ने कमल मध्य दो जलबिन्दु देखे। एक बिन्दु से मधु और दूसरे से कैटभ की उत्पत्ति हुई। उत्पन्न होते ही दैत्यों ने कमल के मध्य ब्रह्मा को देखा। दोनों सनातन वेदों को ले रसातल में चले गये। वेदों का अपहरण होने पर ब्रह्मा चिन्तित हुए कि वेद ही मेरे चक्षु है उनके अभाव में लोकसृष्टि मैं कैसे कर सकूँगा। उन्होंने वेदोउद्धार के लिए भगवान विष्णु की स्तुति की। स्तुति सुन भगवान ने हयग्रीव की मूर्ति धारण कर वेदों का उद्धार किया। - महाभारत शान्ति पर्व

स्कन्दपुराण : काशीखण्ड

हयग्रीवे महातीर्थे मां हयग्रीवकेशवम् ।। प्रणम्य प्राप्नुयान्नूनं तद्विष्णोः परमंपदम् ।। ६१.२३ ।।
भगवान बिंदुमाधव ने अग्निबिन्दु ऋषि से कहा :- जो भी भक्त महान हयग्रीवतीर्थ में मुझ हयग्रीवकेशव को प्रणाम करता है। वह निश्चय ही विष्णु लोक (वैकुण्ठ) प्राप्त करेगा।


हयग्रीव अवतार का प्रयोजन तथा पौराणिक शोध : यहाँ पढ़े



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हयग्रीव केशव भदैनी में आनंदमयी हॉस्पिटल के पास बी.3/25 पर स्थित है।
Hayagriva Keshav is located at B.3/25 near Anandamayi Hospital in Bhadaini.


For the benefit of Kashi residents and devotees:-

From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey - Kamakhya, Kashi


काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-                                                   

प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय - कामाख्याकाशी


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