Maheshwari
माहेश्वरी
त्रिशुलचन्द्राहिधरे महावृषभवाहिनि । माहेश्वरी स्वरूपेण नारायणि नमोऽस्तु ते ।।
जो त्रिशूल, चंद्रमा और सांप को धारण करती है। और विशाल बैल की सवारी करती है। देवी माहेश्वरी के स्वरूप में। हे नारायणी, आपको नमस्कार है।
स्कन्दपुराण : काशीखण्ड
महेश्वराद्दक्षिणतो देवी माहेश्वरी नरैः । वृषयानवती पूज्या महावृषसमृद्धिदा ।।
महेश्वर के दक्षिण में, अपने वाहन के रूप में बैल पर विराजमान देवी माहेश्वरी की पुरुषों द्वारा पूजा की जानी चाहिए। वह पशुधन प्रदान करती हैं।
मूल विग्रह : महेश्वर के दक्षिण में अष्ट मातृकाओं में से एक देवी माहेश्वरी विराजती थीं। ऊपर दिया गया चित्र मूल काशी खण्डोक्त विग्रह का है। वर्तमान में माहेश्वरी मातृका का यह विग्रह काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर की भेंट चढ़ गया है। महेश्वर का स्थान भी परिवर्तित कर दिया गया है।
अष्टमातृका
देवी अंबिका (दुर्गा या चंडी के रूप में पहचानी जाती हैं) युद्ध में आठ मातृकाओं का नेतृत्व करती हैं (शीर्ष पंक्ति बाईं ओर से) नरसिम्ही, वैष्णवी, कौमारी, महेश्वरी, ब्राह्मणी। (नीचे की पंक्ति, बाएं से) राक्षस रक्तबीज के विरुद्ध वाराही, इंद्राणी(ऐन्द्री) और चामुंडा या काली। देवी महात्म्य से संदर्भित।
अष्टमातृका अर्थात आठ देवियां हैं। ये आठ देवियां ब्रह्माणी, वैष्णवी, माहेश्वरी, ऐन्द्री, कौमारी, वाराही नारसिंही और चामुण्डा है। शुंभ और निशुंभ राक्षसों से लड़ते समय देवी की सहायता के लिए सभी देवो ने अपनी-अपनी अष्ट शक्तियां भेजी थी। यह शक्तियां ही अष्टमातृकाएँ हैं।
योनि रूप में पूजित सप्तमातृका
बच्चे के जन्म पर छठी महोत्सव सप्तमातृका/अष्टमातृका का ही पूजन होता हैं। सप्तमातृका/अष्टमातृका पूजा नवजात बच्चे की हर तरह के अनिष्टों से रक्षा करती हैं। इस पूजा से सप्तमातृका/अष्टमातृका का आशीर्वाद मिलता हैं।
माहेश्वरी मातृका का मूल सबसे ऊपरी चित्र में दिया हुआ विग्रह काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर की भेंट चढ़ गया है।
The original idol of Maheshwari Matrika shown in the top picture has been sacrificed to the Kashi Vishwanath Dham Corridor.
For the benefit of Kashi residents and devotees:-
From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey - Kamakhya, Kashi
काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-
प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय - कामाख्या, काशी