Varad Vinayak (वरद विनायक)

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Varad Vinayak
वरद विनायक

वरदविनायक चतुर्थी : ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष चतुर्थी

भारतवर्ष के अष्ट प्रमुख विनायक पीठ जो महाराष्ट्र में स्थित है। भगवान वरद विनायक अपने मूल स्थान (कोल्हापुर, रायगढ़) से काशी में राजपुत्र विनायक के दक्षिण पश्चिम दिशा में प्रह्लाद घाट के पास स्थित है। जिस प्रकार अपने मूल में भगवान अपने नाम को चरितार्थ करते हुए वर प्रदान करते हैं ठीक उसी प्रकार स्कंद पुराण काशी खंड में भी भगवान अपने नाम के अनुसार काशी वासियों को वर प्रदान करते हैं। काशी वासियों को बहुत सुलभ है कि सारे तीर्थ तथा उनमें स्थित देवी देवता किसी न किसी प्रकार से काशी में स्वयं को प्रकट किए हुए हैं।
वरद विनायक काशी

काशीखण्डः अध्यायः ५७

विनायकाद्राजपुत्रात्किंचिद्रक्षोदिशिस्थितः ।। वरदाख्यो गणाध्यक्षः पूज्यो भक्तवरप्रदः ।। ८६ ।।
राजपुत्र विनायक से दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित वरद नामक गणाध्यक्ष की पूजा की जानी चाहिए। वह भक्तों पर वरदान देने वाले हैं।
वरद विनायक मूल 
वरदविनायक देवताओं में प्रथम पूजनीय भगवान श्री गणेश का ही एक रूप है। वरद विनायक जी का मंदिर गणेश जी के आठ पीठों में से एक है, जो महाराष्ट्र राज्य में रायगढ़ ज़िले के कोल्हापुर तालुका में एक सुन्दर पर्वतीय गाँव महाड में स्थित है। वरदविनायक गणेश अपने नाम के समान ही सारी कामनाओं को पूरा होने का वरदान देते हैं। प्राचीन काल में यह स्थान 'भद्रक' नाम से भी जाना जाता था। इस मंदिर में नंददीप नाम से एक दीपक निरंतर प्रज्जवलित है। इस दीपक के बारे में यह माना जाता है कि यह सन 1892 से लगातार प्रदीप्यमान है।

पुष्पक वन में गृत्समद ऋषि के तप से प्रसन्न होकर भगवान गणपति ने उन्हें "गणानांत्वा गणपतिं" मंत्र के रचयिता की पदवी यहीं पर दी थी, और ईश देवता बना दिया। उन्हीं वरदविनायक गणपति का यह स्थान है। वरदविनायक गणेश का नाम लेने मात्र से ही सारी कामनाओं को पूरा होने का वरदान प्राप्त होता है। यहाँ शुक्ल पक्ष की मध्याह्न व्यापिनी चतुर्थी के समय 'वरदविनायक चतुर्थी' का व्रत एवं पूजन करने का विशेष विधान है। शास्त्रों के अनुसार 'वरदविनायक चतुर्थी' का साल भर नियमपूर्वक व्रत करने से संपूर्ण मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं।

ॐ गणानां त्वा गणपति (गूं) हवामहे प्रियाणां त्वा प्रियपति (गूं) हवामहे
निधिनां त्वा निधिपति (गूं) हवामहे वसो मम आहमजानि गर्भधमा त्वम जासि गर्भधम्।

अर्थात्- हे परमदेव गणेशजी ! समस्त गणों के अधिपति एवं प्रिय पदार्थों प्राणियों के पालक और समस्त सुखनिधियों के निधिपति ! आपका हम आवाहन करते हैं । आप सृष्टि को उत्पन्न करने वाले हैं, हिरण्यगर्भ को धारण करने वाले अर्थात् संसार को अपने-आप में धारण करने वाली प्रकृति के भी स्वामी हैं, आपको हम प्राप्त हों ।

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वरद विनायक काली मंदिर, प्रह्लाद घाट के पास ए-13/19 में स्थित है।
Varad Vinayak Kali Mandir is located at A-13/19 near Prahlad Ghat.

For the benefit of Kashi residents and devotees:-

From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey 

Kamakhya, Kashi 8840422767 

Email : sudhanshu.pandey159@gmail.com


काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-                                                   

प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय

कामाख्याकाशी 8840422767

ईमेल : sudhanshu.pandey159@gmail.com


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