Kuber Temple Kashi (कुबेर मंदिर)

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Kuber Temple - Kashi
कुबेर मंदिर - काशी

बहुत कम लोग यह जानते होंगे कि काशी में यक्षेश्वर कुबेर का विग्रह मंदिर भी है जब यक्षेश्वर कुबेर काशी आए तो वह पूर्ण शैव रूप धारण कर कंठ में सर्प, हाथ में त्रिशूल, मस्तक पर त्रिपुंड और जटाजूट धारण किए हुए थे दिक्पाल कुबेर ने विश्वेश्वर के दक्षिण एक लिंग की स्थापना की जिसका नाम कुबेरेश्वर हुआ कुबेरेश्वर  शिवलिंग वर्तमान के अन्नपूर्णा (मठ) मंदिर के ईशान कोण में स्थित है। यहां ध्यान देने वाली यह बात यह भी है की अन्नपूर्णा (मठ) मंदिर में कुबेरेश्वर महादेव के ठीक ऊपर कुबेर जी की का एक विग्रह भी है परंतु वह विग्रह कुबेर के स्वरूप से मेल नहीं खाता और नया विग्रह है विश्वनाथ गली में दक्षिण के तरफ आगे बढ़ने पर मनः प्रकामेश्वर तथा धनः प्रकामेश्वर महादेव है धनः प्रकामेश्वर महादेव के ठीक सामने दाई तरफ यक्षराज कुबेर का प्राचीन विग्रह है जो उनके काशी में धारण किये स्वरूप जो कि काशी खंड में वर्णित है ठीक वैसा ही है

ॐ यक्षराजाय विद्महे अलकाधीशाय धीमहि । तन्नः कुबेरः प्रचोदयात् ।

कुबेर का काशी में स्वरूप :

काशी में कुबेर पूर्ण शैव होकर कंठ में सर्प, हाथ में त्रिशूल, मस्तक पर त्रिपुंड और जटाजूट धारण किये हुए हैं


धन के देवता कुबेर
धन के स्वामी (धनेश) व धनवानता के देवता माने जाते हैं। वे यक्षों के राजा भी हैं। वे उत्तर दिशा के दिक्पाल हैं और लोकपाल (संसार के रक्षक) भी हैं। इनके पिता महर्षि विश्रवा थे और माता देववर्णिणी थीं। । इनके सौतेले छोटे भाई रावण , कुम्भकर्ण और विभीषण थे। इनमें रावण ही बाद में असुरों का सम्राट बना। भद्रा ,सूर्य देवता और छायदेवी की पुत्री थीं। वह बहुत सुन्दर थीं। धनवनता के देवता कुबेर ने उनसे विवाह किया।

अन्य नाम-   धनेश्वर , वैश्रावण , भद्राकान्त , देववर्णिणीनन्दन , यक्षेश्वर धनदाय आदि

पिता- विश्रवा मुनि, माता- देववर्णिणी (इड़विड़ा), सौतेली माता- कैकसी, सौतेले भाई- रावण, कुंभकर्ण, विभीषण

पत्नी- भद्रा,    पुत्र- नलकुबेर, मणिभद्र, गंधमादन,   पूजा का विशेष दिन- धनत्रयोदशी व दीपावली

शस्त्र- खड्ग, त्रिशूल, गदा,  सवारी- वराह (देशी सुअर), नकुल (नेवला)


राजधानी- अलकापुरी, विभावरी,   शक्तियां- वृद्धि तथा ऋद्धि

सेनापति- मणिभद्र, पूर्णभद्र, मणिमत्, मणिकंधर, मणिभूष, मणिस्त्रिग्विन, मणिकार्मुकधारक


पूर्व जन्म में गरीब ब्राह्मण थे कुबेर :

पौराणिक कथा के अनुसार वे एक गुणनिधि नाम के ब्राह्मण थे , पिता से धर्म का ज्ञान लेकर भी वे एक जुआरी बन गये उनके पिता को जब इस बात का पता चला तब उन्होंने अपने पुत्र को घर से निकाल दिया बेघर होने के बाद गुणनिधि की हालत अति दयनीय हो गयी वे भिक्षा मांगकर अपना जीवन व्यतीत करने लगे

एक बार ऐसे ही दर दर भटकते भटकते वे जंगल में निकल गये उसी रास्ते से कुछ भोजन सामग्री लेकर एक ब्राह्मण समूह वहा से गुजर रहा था। भूख प्यास से व्याकुल गुणनिधि भोजन की आस में उनके पीछे हो गये कुछ क्षण बाद वह ब्राह्मण समूह एक शिवालय में रुक गये और भगवान शिव को भोजन का भोग लगाकर उनका कीर्तन करने लगे रात्रि में जब वे सभी सो गये तब गुणनिधि ने भगवान शिव को अर्पित भोग चुराया लिया पर उनमे से एक ब्राह्मण ने उन्हें यह चोरी करते देख लिया वह चोर चोर चिल्लाने लगा सभी ब्राह्मण गुणनिधि के पीछे पड़ गये गुणनिधि अपनी जान बचाकर भागा पर नगर के रक्षक द्वारा मारा गया

महाशिवरात्रि से थे अनजान फिर भी सफल हुआ व्रत :

यह दिन कोई आम दिन नही था बल्कि महाशिवरात्रि का दिन था। इस दिन से अनजान गुणनिधि से भगवान शिव का व्रत हो गया और वे भूखे ही शिव लीला से मर गये पर शिवजी का व्रत खाली कैसे जा सकता है गुणनिधि ने नया जन्म लिया

गुणनिधि बने कलिंग के राजा :

नए जीवन में वे कलिंग के राजा बने और महान शिव भक्त हुए अपनी अटूट शिव भक्ति से उन्हें भगवान शिव ने यक्षों का स्वामी तथा देवताओं का कोषाध्यक्ष बना दिया

कुबेरदेव का स्वरूप :

ग्रंथों के अनुसार कुबेरदेव का उदर यानी पेट बड़ा है। इनके शरीर का रंग पीला है। ये किरीट, मुकुट आदि आभूषण धारण करते हैं। एक हाथ में गदा तो दूसरा हाथ धन देने वाली मुद्रा में रहता है। इनका वाहन पुष्पक विमान है। इन्हें मनुष्यों के द्वारा पालकी पर विराजित दिखाया जाता है।

कुबेर के है कई अन्य नाम :

कुबेरदेव को वैसे तो वैश्रवण के नाम से जाना जाता है। इन्हें एड़विड़ और एकाक्षपिंगल भी कहा जाता है। माता का नाम इड़विड़ा होने के कारण इनका एड़विड़ नाम पड़ा। कहते हैं माता पार्वती की ओर देखने के कारण कुबेर की दाहिनी आंख पीली पड़ गई इसीलिए इनका एक नाम एकाक्षपिंगाल भी पड़ा।

अकस्मात धन लाभ दे‍ता है कुबेर मंत्र : ॐ श्रीं ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः ।

धन के अधिपति होने के कारण इन्हैं मंत्र साधना द्वारा प्रसन्न करने का विधान बताया गया है।
कुबेर मंत्र को दक्षिण की और मुख करके ही सिद्ध किया जाता है।

कुबेर तीर्थ :

कुबेर ने जिन स्थानों पर तपस्या की थी, वे स्थान कुबेर तीर्थ के नाम से जाने जाते हैं। नर्मदा और कावेरी नदी के तट पर कुबेर ने तप किया था। हरियाणा के कुरुक्षेत्र में स्थित भद्रकाली मंदिर के निकट सरस्वती नदी के तट पर कुबेर तीर्थ हैं। कहते हैं यहां कुबेर ने यज्ञ किए थे।

इस तरह एक गरीब ब्राह्मण को भोलेनाथ ने धन का देवता नियुक्त कर दिया


 कुबेराष्टोत्तरशतनामावलिः 

ॐ श्रीं ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः ।

ॐ यक्षराजाय विद्महे अलकाधीशाय धीमहि ।

तन्नः कुबेरः प्रचोदयात् ।


ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय

धनधान्याधिपतये धनधान्यादि

समृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा ।

श्रीसुवर्णवृष्टिं कुरु मे गृहे श्रीकुबेर ।

महालक्ष्मी हरिप्रिया पद्मायै नमः ।

राजाधिराजाय प्रसह्य साहिने नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे ।

समेकामान् कामकामाय मह्यं कामेश्वरो वैश्रवणो ददातु ।

कुबेराज वैश्रवणाय महाराजाय नमः ।


ध्यानम्

मनुजबाह्यविमानवरस्तुतं

गरुडरत्ननिभं निधिनायकम् ।

शिवसखं मुकुटादिविभूषितं

वररुचिं तमहमुपास्महे सदा ॥


अगस्त्य देवदेवेश मर्त्यलोकहितेच्छया ।

पूजयामि विधानेन प्रसन्नसुमुखो भव ॥


अथ कुबेराष्टोत्तरशतनामावलिः ॥


ॐ कुबेराय नमः ।

ॐ धनदाय नमः ।

ॐ श्रीमते नमः ।

ॐ यक्षेशाय नमः ।

ॐ गुह्यकेश्वराय नमः ।

ॐ निधीशाय नमः ।

ॐ शङ्करसखाय नमः ।

ॐ महालक्ष्मीनिवासभुवे नमः ।

ॐ महापद्मनिधीशाय नमः ।

ॐ पूर्णाय नमः । १०

ॐ पद्मनिधीश्वराय नमः ।

ॐ शङ्खाख्यनिधिनाथाय नमः ।

ॐ मकराख्यनिधिप्रियाय नमः ।

ॐ सुकच्छपाख्यनिधीशाय नमः ।

ॐ मुकुन्दनिधिनायकाय नमः ।

ॐ कुन्दाख्यनिधिनाथाय नमः ।

ॐ नीलनित्याधिपाय नमः ।

ॐ महते नमः ।

ॐ वरनिधिदीपाय नमः ।

ॐ पूज्याय नमः । २०

ॐ लक्ष्मीसाम्राज्यदायकाय नमः ।

ॐ इलपिलापत्याय नमः ।

ॐ कोशाधीशाय नमः ।

ॐ कुलोचिताय नमः ।

ॐ अश्वारूढाय नमः ।

ॐ विश्ववन्द्याय नमः ।

ॐ विशेषज्ञाय नमः ।

ॐ विशारदाय नमः ।

ॐ नलकूबरनाथाय नमः ।

ॐ मणिग्रीवपित्रे नमः । ३०

ॐ गूढमन्त्राय नमः ।

ॐ वैश्रवणाय नमः ।

ॐ चित्रलेखामनःप्रियाय नमः ।

ॐ एकपिनाकाय नमः ।

ॐ अलकाधीशाय नमः ।

ॐ पौलस्त्याय नमः ।

ॐ नरवाहनाय नमः ।

ॐ कैलासशैलनिलयाय नमः ।

ॐ राज्यदाय नमः ।

ॐ रावणाग्रजाय नमः । ४०

ॐ चित्रचैत्ररथाय नमः ।

ॐ उद्यानविहाराय नमः ।

ॐ विहारसुकुतूहलाय नमः ।

ॐ महोत्सहाय नमः ।

ॐ महाप्राज्ञाय नमः ।

ॐ सदापुष्पकवाहनाय नमः ।

ॐ सार्वभौमाय नमः ।

ॐ अङ्गनाथाय नमः ।

ॐ सोमाय नमः ।

ॐ सौम्यादिकेश्वराय नमः । ५०

ॐ पुण्यात्मने नमः ।

ॐ पुरुहुतश्रियै नमः ।

ॐ सर्वपुण्यजनेश्वराय नमः ।

ॐ नित्यकीर्तये नमः ।

ॐ निधिवेत्रे नमः ।

ॐ लङ्काप्राक्तननायकाय नमः ।

ॐ यक्षिणीवृताय नमः ।

ॐ यक्षाय नमः ।

ॐ परमशान्तात्मने नमः ।

ॐ यक्षराजे नमः । ६०

ॐ यक्षिणीहृदयाय नमः । 

ॐ किन्नरेश्वराय नमः ।

ॐ किम्पुरुषनाथाय नमः ।

ॐ खड्गायुधाय नमः ।

ॐ वशिने नमः ।

ॐ ईशानदक्षपार्श्वस्थाय नमः ।

ॐ वायुवामसमाश्रयाय नमः ।

ॐ धर्ममार्गनिरताय नमः ।

ॐ धर्मसम्मुखसंस्थिताय नमः ।

ॐ नित्येश्वराय नमः । ७०

ॐ धनाध्यक्षाय नमः ।

ॐ अष्टलक्ष्म्याश्रितालयाय नमः ।

ॐ मनुष्यधर्मिणे नमः ।

ॐ सुकृतिने नमः ।

ॐ कोषलक्ष्मीसमाश्रिताय नमः ।

ॐ धनलक्ष्मीनित्यवासाय नमः ।

ॐ धान्यलक्ष्मीनिवासभुवे नमः ।

ॐ अष्टलक्ष्मीसदावासाय नमः ।

ॐ गजलक्ष्मीस्थिरालयाय नमः ।

ॐ राज्यलक्ष्मीजन्मगेहाय नमः । ८०

ॐ धैर्यलक्ष्मीकृपाश्रयाय नमः ।

ॐ अखण्डैश्वर्यसंयुक्ताय नमः ।

ॐ नित्यानन्दाय नमः ।

ॐ सुखाश्रयाय नमः ।

ॐ नित्यतृप्ताय नमः ।

ॐ निराशाय नमः ।

ॐ निरुपद्रवाय नमः ।

ॐ नित्यकामाय नमः ।

ॐ निराकाङ्क्षाय नमः ।

ॐ निरूपाधिकवासभुवे नमः । ९०

ॐ शान्ताय नमः ।

ॐ सर्वगुणोपेताय नमः ।

ॐ सर्वज्ञाय नमः ।

ॐ सर्वसम्मताय नमः ।

ॐ सर्वाणिकरुणापात्राय नमः ।

ॐ सदानन्दकृपालयाय नमः ।

ॐ गन्धर्वकुलसंसेव्याय नमः ।

ॐ सौगन्धिककुसुमप्रियाय नमः ।

ॐ स्वर्णनगरीवासाय नमः ।

ॐ निधिपीठसमाश्रयाय नमः । १००

ॐ महामेरूत्तरस्थाय नमः ।

ॐ महर्षिगणसंस्तुताय नमः ।

ॐ तुष्टाय नमः ।

ॐ शूर्पणखाज्येष्ठाय नमः ।

ॐ शिवपूजारताय नमः ।

ॐ अनघाय नमः ।

ॐ राजयोगसमायुक्ताय नमः ।

ॐ राजशेखरपूज्याय नमः ।

ॐ राजराजाय नमः । १०९


इति ।


GPS LOCATION OF THIS TEMPLE CLICK HERE


चूड़ी वाली दुकान के भीतर से मनः प्रकामेश्वर तथा धनः प्रकामेश्वर महादेव

For the benefit of Kashi residents and devotees:-

From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey 

Kamakhya, Kashi 8840422767 

Email : sudhanshu.pandey159@gmail.com


काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-                                                   

प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय

कामाख्याकाशी 8840422767

ईमेल : sudhanshu.pandey159@gmail.com



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