Prahladkeshav (प्रह्लादकेशव)

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Prahladkeshav

प्रह्लादकेशव

हरिहर की असीम कृपा और देव इच्छा समझ काशी के इस महा भक्ति को प्रदान करने वाले तीर्थ प्रह्लाद तीर्थ का विवरण आप सभी के साथ साझा कर रहा हूं...
मूल प्रह्लाद तीर्थ
प्रह्लाद घाट एक हिंदू तीर्थ स्थल है जो हिरण्यकशिपु के पुत्र प्रह्लाद को समर्पित है और यह उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के हरदोई जिले में स्थित है। घाट नरसिम्हा मंदिर के साथ ही स्थित है।

पूर्वकाल में हरदोई हिरण्यकशिपु की नगरी थी और वह हरि का द्रोही था, इसलिए उसने अपनी नगरी का नाम हरिद्रोही रखा। उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान हरि का भक्त था और उसे मारने के लिए हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका को अग्नि में स्थापित कर दिया था। होलिका को वरदान था कि वह आग से नहीं जलेगी। होलिका को अपनी कुत्सित इच्छा का मूल्य अपने प्राणों से चुकाना पड़ा। होलिका को इस बात की जानकारी नहीं थी कि वरदान तभी काम करता है जब वह अकेले अग्नि में प्रवेश करती है। प्रह्लाद, जो यह सब समय भगवान नारायण के नाम का जप करते रहे, निर्लिप्त होकर बाहर आये, क्योंकि भगवान ने उन्हें अत्यधिक भक्ति के लिए आशीर्वाद दिया था। इसके प्रमाण के रूप में हरदोई में प्रहलाद घाट है।

काशी प्रह्लाद तीर्थ
जैसा कि स्कन्द पुराण काशी खंड में वर्णित है कि विश्व के समस्त तीर्थ अपने देवताओं के साथ काशी में प्राकट्य हैं। यहां उनका दर्शन पूजन उनके मूल स्थान से कम से कम 5 गुना फलदाई होता है। अतः हर द्रोही अर्थात हरदोई से प्रह्लाद तीर्थ का काशी में प्राकट्य हुआ है। जैसा की मूल स्थान (हरदोई) में घाट का नाम भी प्रह्लाद घाट है एवं भगवान नरसिंह प्रह्लाद जी के साथ हैं। काशी में प्रह्लाद जी द्वारा शिवलिंग की स्थापना तथा भगवान हरि के केशव स्वरूप की स्थापना और विदार नरसिंह के रूप में भगवान स्वयं यहाँ अवतरित है। 

तुलसीदास जी काशी में सर्वप्रथम इसी घाट पर आए। तुलसीदास जी द्वारा ११  (एकादश) हनुमान जी का विग्रह काशी के भीतर स्थापित किया गया प्रह्लाद घाट पर उनके द्वारा स्थापित हनुमान जी का विग्रह प्रह्लाद हनुमान के नाम से सर्वविदित है।

काशीखण्डः अध्यायः ६१

प्रह्लादतीर्थं तत्रैव नाम्ना प्रह्लादकेशवः ।। भक्तैः समर्चनीयोहं महाभक्ति समृद्धये ।। ११ ।।
प्रहलाद तीर्थ भी वहीं है। महान भक्ति की वृद्धि के लिए भक्तों द्वारा मुझे प्रह्लादकेशव नाम से पूजा जाना चाहिए।


केशव

केशी एक प्रसिद्ध दानव था। यह कंस का अनुचर और घोड़े के रूप का दानव था और कश्यप की पत्नी दक्षकन्या दनु के गर्भ से उत्पन्न सभी दानवों में अधिक प्रतापी था। महाभारत के अनुसार इसने प्रजापति की कन्या दैत्यसेना का हरण करके उससे विवाह कर लिया था। इसने वृंदावन में असंख्य गौओं तथा गोपों का वध किया था। अंत में इसे श्रीकृष्ण ने मारा जिससें उनका नाम 'केशव' पड़ा।

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प्रह्लाद केशव प्रह्लादेश्वर महादेव मंदिर के भीतर ए-10/80 प्रह्लाद घाट पर स्थित है।
Prahlad Keshav is located at A-10/80 Prahlad Ghat inside Prahladeshwar Mahadev Temple.

For the benefit of Kashi residents and devotees:-

From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey 

Kamakhya, Kashi 8840422767 

Email : sudhanshu.pandey159@gmail.com


काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-                                                   

प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय

कामाख्याकाशी 8840422767

ईमेल : sudhanshu.pandey159@gmail.com


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