Nigadbhanjani Devi (निगडभंजनी देवी या बंदी देवी)

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Nigadbhanjani Devi

(निगडभंजनी देवी या बंदी देवी)

बंदी देवी का वर्तमान में महत्व : जिसके भी परिजन किसी कारण वश कारगार में बंद है अगर वह यहां आकर माँ से मनौती मांगकर, ताले बन्द कर 41 मंगलवार माँ का नियमित दर्शन करता है तो माँ उसको बंधनों से मुक्ति दिलाती है। यह हो गया सांसारिक दृष्टिकोण अब आते हैं माता बंदी देवी के पौराणिक महत्व के विषय में जो स्कंद पुराण के काशी खंड में भगवान वेद व्यास द्वारा वर्णित किया गया है

काशीखण्डः अध्यायः ३३

एषा विश्वभुजा देवी विश्वैकजननी परा । असौ बंदी महादेवी नित्यं त्रैलोक्यवंदिता ।। ७७ ।।

निगडस्थानपि जनान्पाशान्मोचयति स्मृता। दशाश्वमेधिकं तीर्थमेतत्त्रैलोक्यवंदितम् ।। ७८ ।।

यत्राहुतित्रयेणापि अग्निहोत्रफलं लभेत् । प्रयागाख्यमिदं स्रोतः सर्वतीर्थोत्तमोत्तमम्।।७९।।

देवी विश्वभुजा, देवी बंदी जो हमेशा तीनों लोकों द्वारा पूजनीय हैं। याद किए जाने पर वह बंधनों से मुक्त कर देती है, भले ही व्यक्ति बेड़ियों में जकड़े हुए हों। यह तीनों लोकों द्वारा सम्मानित दशाश्वमेधिक तीर्थ है। यहाँ तीन आहुति से भी अग्निहोत्र करने का लाभ मिलता है। यह प्रयाग नाम का तीर्थ है जो सभी तीर्थों में श्रेष्ठ है।


काशीखण्डः अध्यायः ७०

प्रयागतीर्थे सुस्नातो जनो निगडभंजनीम् । सभाजयित्वा नो जातु निगडैः परिबाध्यते ।। ४७ ।।

भौमवारे सदा पूज्या देवीनिगडभंजनी । कृत्वैकभुक्तं भक्त्यात्र बंदीमोक्षणकाम्यया ।। ४८ ।।

संसारबंधविच्छित्तिमपि यच्छति सार्चिता । गणना शृंखलादीनां का च तस्याः समर्चनात् ।।४९।।

भक्त को प्रयाग तीर्थ में अपना पवित्र स्नान करना चाहिए और देवी निगडभंजनी ('बेड़ियों को तोड़ने वाली') की पूजा करनी चाहिए। उसे कभी बेड़ियों से नहीं सताया जाता। एक कैदी को मुक्त करने की इच्छा के साथ, एक भक्त को हमेशा मंगलवार को निगड़भंजनी की पूजा करनी चाहिए, श्रद्धापूर्वक केवल एक ग्रास भोजन करना चाहिए। पूजित होने पर वह सांसारिक बंधनों को भी विच्छिन्न कर देती हैं। इनकी आराधना से बेड़ियों आदि की क्या गणना?

दूरस्थोपि हि यो बंधुः सोपि क्षिप्रं समेष्यति । बंदी पदजुषां पुंसां श्रद्धया नात्र संशयः ।।५० ।।

किंचिन्नियममालंब्य यदि सा परिषेविता । कामान्पूरयति क्षिप्रं काशी संदेहहारिणी ।। ५१ ।।

घनटंककरा देवी भक्तबंधनभेदिनी । कं कं न पूरयेत्कामं तीर्थराजसमीपगा ।। ५२ ।।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि बंदी देवी के चरणों का सहारा लेने वाले लोगों की आस्था के कारण, बहुत दूर रहने वाला भी जल्द ही वापस आ जाएगा। यदि मन्नत करके व्रत पालन करते हुए चरण सेवा की जाती है, तो वह जल्द ही काशी के सभी संदेहों को दूर करते हुए सभी इच्छाओं को पूरा करेंगी। भक्तों के बंधन को तोड़ने वाली इस देवी के हाथों में हथौड़ा और छेनी है। वह तीर्थराज के सान्निध्य में है। वह कौन सी इच्छाएँ पूरी नहीं करती? (अर्थात् सभी कामनाओं को पूर्ण करने वालीं हैं।)


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बंदी देवी दशाश्वमेध (शीतला) घाट से ठीक पहले डी.17/100 पर स्थित है।
Bandi Devi is located on D.17/100 just before Dashashwamedh (Badi Shitala) Ghat.

For the benefit of Kashi residents and devotees:-

From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey 

Kamakhya, Kashi 8840422767 

Email : sudhanshu.pandey159@gmail.com


काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-                                                   

प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय

कामाख्याकाशी 8840422767

ईमेल : sudhanshu.pandey159@gmail.com


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