Shri Kashi Khand

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Gabhastishwar - गभस्तीश्वर - काशी में गंगा के आगमन से पूर्व भगवान्‌ सूर्य द्वारा पञ्चनद तीर्थ (काशीस्थ पंचगंगा) में गभस्तीश्वर नामक शिवलिङ्ग तथा मंगलागौरी नामक सर्वाभीष्ठप्रदा सर्वमंगलप्रदा दुर्गामूर्त्ति प्रतिष्ठित कर देवमान से एक लाख (दिव्य वर्ष) तक उग्रतप करना तदन्तर तपस्याकाल में अत्यधिक श्रम होने के कारण उनकी किरणों से प्रबल स्वेद निकल वहीं पुण्य नदी रूपेण परिणत हो किरणा नाम से सुविख्यात होना। विश्व स्थित समस्त प्राणीगण का यह आक्षेप कि - वेदों ने सूर्य को जगदात्मा कहा है, वे आत्मा ही यदि देह को तापित करें, तब और कौन उसकी रक्षा कर सकेगा? यह सुनकर विश्वरूप भगवान विश्वनाथ का सूर्य को वर देने आना.....

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Dhutpapa (धूतपापा की अद्भुत कथा: कैसे एक तपस्विनी कन्या बनी काशीस्थ पंचनद तीर्थ की पावन नदी)

Shalaktankat Vinayak (शालकटंकट विनायक)