(शालकटंकट विनायक)
शालकटंकट शाब्दिक अर्थ : "शाल" (साल वृक्ष) और "कटंकट" (काँटों वाला या कँटीला क्षेत्र) — इस व्युत्पत्ति से भी यह संकेत मिलता है कि यह क्षेत्र घने वनों तथा काँटेदार झाड़ियों से भरा हुआ रहा होगा।
- स्थिति: भीमचंड गणाध्यक्ष के ईशान दिशा (उत्तर-पूर्व) में स्थित हैं।
- कार्य: सम्पूर्ण काशी क्षेत्र की रक्षा करना। यह सुनिश्चित करना कि जो भी पुण्यात्मा काशी में आता है, वह शिव कृपा से अभय (निर्भय) हो जाए।
- पूजा का फल: जो भी श्रद्धालु शालकटंकट विनायक का दर्शन और पूजन करता है, उसे सभी भय, विघ्न, विघात दूर होते हैं और क्षेत्रपाल की कृपा से उसका जीवन सफल एवं सुखमय होता है।
स्कन्दपुराणम्/खण्डः_४_(काशीखण्डः)/अध्यायः_०५७
भीमचंड गणाध्यक्षात्किंचिदीशानदिग्गतः ॥ क्षेत्ररक्षोगणाध्यक्षः पूज्यः शालकटंकटः ॥ ७१ ॥
भीमचंड नामक गणाध्यक्ष से ईशान दिशा (उत्तर-पूर्व कोण) में स्थित, जो सम्पूर्ण क्षेत्र (काशी) की रक्षा करने वाले गणाध्यक्ष हैं, वे 'शालकटंकट' पूजनीय हैं।
काशीभयहरो नित्यमैश्यां शालकटंकटात् ॥ त्रिमुखो नाम विघ्नेशः कपिसिंहद्विपाननः ॥८२॥
त्रिमुख (तीन मुख वाले) नाम के वानर-हाथी-सिंह के मुख वाले विघ्नेश शालकटंकट के उत्तर-पूर्व में स्थित है। वह काशी के (लोगों के) भय को दूर करने वाले हैं।
स्कन्दपुराणम्/खण्डः_४_(काशीखण्डः)/अध्यायः_०६९
काश्मीरादिह संप्राप्तं लिंगं विजयसंज्ञितम् ॥ सदा विजयदं पुंसां प्राच्यां शालकटंकटात् ॥ ६१॥
रणे राजकुले द्यूते विवादे सर्वदैव हि ॥ विजयो जायते पुंसां विजयेश समर्चनात् ॥६२॥
विजय नामक उपाधि से विभूषित जो लिङ्ग है, वह कश्मीर देश से यहाँ अवतीर्ण हुआ है। वह शालकटंकट विनायक के पूर्व दिशा में प्रतिष्ठित है तथा सदा पुरुषों को विजय प्रदान करता है।
भीमचंड गणाध्यक्षात्किंचिदीशानदिग्गतः ॥ क्षेत्ररक्षोगणाध्यक्षः पूज्यः शालकटंकटः ॥ ७१ ॥
भीमचंड नामक गणाध्यक्ष से ईशान दिशा (उत्तर-पूर्व कोण) में स्थित, जो सम्पूर्ण क्षेत्र (काशी) की रक्षा करने वाले गणाध्यक्ष हैं, वे 'शालकटंकट' पूजनीय हैं।
काशीभयहरो नित्यमैश्यां शालकटंकटात् ॥ त्रिमुखो नाम विघ्नेशः कपिसिंहद्विपाननः ॥८२॥
त्रिमुख (तीन मुख वाले) नाम के वानर-हाथी-सिंह के मुख वाले विघ्नेश शालकटंकट के उत्तर-पूर्व में स्थित है। वह काशी के (लोगों के) भय को दूर करने वाले हैं।
स्कन्दपुराणम्/खण्डः_४_(काशीखण्डः)/अध्यायः_०६९
काश्मीरादिह संप्राप्तं लिंगं विजयसंज्ञितम् ॥ सदा विजयदं पुंसां प्राच्यां शालकटंकटात् ॥ ६१॥
रणे राजकुले द्यूते विवादे सर्वदैव हि ॥ विजयो जायते पुंसां विजयेश समर्चनात् ॥६२॥
विजय नामक उपाधि से विभूषित जो लिङ्ग है, वह कश्मीर देश से यहाँ अवतीर्ण हुआ है। वह शालकटंकट विनायक के पूर्व दिशा में प्रतिष्ठित है तथा सदा पुरुषों को विजय प्रदान करता है।
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EXACT GPS : 25.300423940459126, 82.96696736725744
शालकटंकट विनायक मंदिर, शिवदासपुर में मंडुआडीह थाने के समीप स्थित है।
Shalakatankata Vinayaka Temple is located in Shivdaspur, near the Manduadih police station.
For the benefit of Kashi residents and devotees : -
From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey - Kamakhya, Kashi
From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey - Kamakhya, Kashi
काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-
प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय - कामाख्या, काशी
प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय - कामाख्या, काशी
॥ हरिः ॐ तत्सच्छ्रीकृष्णार्पणमस्तु ॥