Chitrangadeshwar Mahadev
According to Kashi Khand, Chapter 77, towards the north of Kedareshwar is Chitrangadeshwar Ling.
Chitrangadeshwar Ling is to the north of Kedāra. It is very auspicious By continuously worshipping it, a man enjoys heavenly pleasures.
काशी खण्ड, अध्याय 77 के अनुसार केदारेश्वर के उत्तर दिशा में चित्रांगदेश्वर लिंग है।
चित्रांगदेश्वर लिंग केदार के उत्तर में है। यह अत्यंत शुभ है इसकी निरंतर पूजा करने से मनुष्य स्वर्गिक सुखों को भोगता है।
Chitrangreeva Devi
The Chitrangreeva Devi should be bowed to in the east of Chitrāṅgadeśvara. The man never sees the tortures of various kinds (inflicted by Yama). (KKH-70)
चित्रांगदीश्वर के पूर्व में चित्रां ग्रीवा देवी को प्रणाम करना चाहिए। मनुष्य विभिन्न प्रकार की यातनाओं (यम द्वारा प्रवृत्त) को कभी नहीं देखता। (काशी खंड -70)
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From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey
Kamakhya, Kashi 8840422767
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