9 Nav (Nine) Gauri Yatra Kashi

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Nine Gauri Yatra - Kashi
 नौ गौरी यात्रा, काशी

काशी खंड अध्याय १०० के अनुसार काशी में चैत्र नवरात्र पर नौ गौरी के दर्शन और पूजन का विधान है। काशी में जहां नौ दुर्गा विराजती हैं, वहीं नौ गौरी के मंदिर भी भक्तों की आस्था से प्रतिध्वनित होते रहे हैं। चैत्र नवरात्र में नौ गौरी के दर्शन का विधान है।

आगामी नौ गौरी एवं नवदुर्गा यात्रा (चैत्र नवरात्र) : २६ मार्च  २०२३

Upcoming Nau Gauri & Navadurga Yatra (Chaitra): March 26, 2023

स्कन्दपुराण खण्डः ४ (काशीखण्ड) - अध्यायः १००

अतः परं प्रवक्ष्यामि गौरीं यात्रामनुत्तमाम्।। शुक्लपक्षे तृतीयायां या यात्रा विष्वगृद्धिदा ।। ६७ ।।
गोप्रेक्षतीर्थे सुस्नाय मुखनिर्मालिकां व्रजेत् ।। ज्येष्ठावाप्यां नरः स्नात्वा ज्येष्ठागौरीं समर्चयेत् ।।६८।।
सौभाग्यगौरी संपूज्या ज्ञानवाप्यां कृतोदकैः।। ततः शृंगारगौरीं च तत्रैव च कृतोदकः ।। ६९ ।।
स्नात्वा विशालगंगायां विशालाक्षीं ततो व्रजेत् ।। सुस्नातो ललितातीर्थे ललितामर्चयेत्ततः ।।७०।।
स्नात्वा भवानीतीर्थेथ भवानीं परिपूजयेत् ।। मंगला च ततोभ्यर्च्या बिंदुतीर्थकृतोदकैः ।। ७१ ।।
ततो गच्छेन्महालक्ष्मीं स्थिरलक्ष्मीसमृद्धये ।। इमां यात्रां नरः कृत्वा क्षेत्रेस्मिन्मुक्तिजन्मनि ।। ७२ ।।
न दुःखैरभिभूयेत इहामुत्रापि कुत्रचित् ।। कुर्यात्प्रतिचतुर्थीह यात्रां विघ्नेशितुः सदा ।। ७३ ।।
इसके बाद मैं शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को की जाने वाली उत्तम गौरी यात्रा का वर्णन करूँगा। यह सभी ऐश्वर्य प्रदान करता है। गोप्रेक्ष में पूरी तरह से स्नान करने के बाद एक भक्त मुखनिर्मलिका को जाना चाहिए। ज्येष्ठावापी  में स्नान करने के बाद पुरुष को ज्येष्ठागौरी की पूजा करनी चाहिए। सौभाग्यगौरी की पूजा उन लोगों द्वारा की जानी चाहिए जिन्होंने ज्ञानवापी वापी में जलीय संस्कार किए हैं। फिर वहीं पर वही कर्म करने के बाद उन्हें श्रृंगारगौरी की पूजा करनी चाहिए। विशालगंगा में स्नान करने के बाद उन्हें विशालाक्षी की ओर प्रस्थान करना चाहिए। ललिता तीर्थ में विधिनुसार स्नान करने के बाद भक्त को ललिता की पूजा करनी चाहिए। भवानी तीर्थ में स्नान करने के बाद भवानी की पूजा करनी चाहिए। तब मंगला की पूजा उन भक्तों द्वारा की जानी चाहिए जिन्होंने बिंदु तीर्थ के जल से जल संस्कार किया है। तत्पश्चात् ऐश्वर्य में निरन्तर वृद्धि के उद्देश्य से उसे महालक्ष्मी के पास जाना चाहिए। इस पवित्र स्थान पर तीर्थयात्रा करने से जो मोक्ष का कारण बनता है, किसी भी व्यक्ति को न तो यहाँ और न ही भविष्य में दुखों का सामना करना पड़ेगा।

1. Mukh Nirmalika Gauri (मुख निर्मालिका गौरी)

देवी मुखनिर्मालिका गौरी का मंदिर गाय घाट पर स्थित है। मान्यता है कि महादेव के काशी वास के साथ, माता वहां पर लोगों को सुंदर रूप और महिलाओं को सौभाग्य देने आईं थीं। तभी से माता मुखनिर्मालिका का दर्शन नवरात्रि के पहले दिन करने की मान्यता है। इस दिन महिलाएं देवी की पूजा के साथ मंदिर परिसर में स्थित बरगद के पेड़ की भी पूजा कर अपने सुहाग की कामना करती हैं। देवी को पीले फूल और लाल अड़हुल का फूल पसंद है। वहीं शक्ति के उपासक पहले दिन शैलपुत्री देवी का पूजन-अर्चन भी करते हैं। शैलपुत्री का मंदिर अलईपुर इलाके में स्थित है।

2. Jyestha Gauri (ज्येष्ठा गौरी)

नवरात्रि के दूसरे दिन ज्येष्ठा गौरी के दर्शन का विधान है। देवी का मंदिर काशीपुरा (कर्णघंटा) में स्थित है। ये भूत भैरव मंदिर के प्रांगण में है। मान्यता है कि देवी ज्येष्ठा गौरी को सभी तरह का चढ़ावा पसंद है, लेकिन उन्हें खास तौर पर नारियल का भोग और अड़हुल का फूल बेहद भाता है। कहा जाता है कि यदि कोई महिला या पुरुष नवरात्रि के दूसरे दिन देवी का दर्शन करता है तो उसको बल, बुद्धि और विद्या की प्राप्ति होती है। नव दुर्गा के पूजा के क्रम में दूसरे दिन शक्ति के उपासक ब्रह्मचारिणी देवी का भी दर्शन-पूजन करते हैं। इनका विग्रह ब्रह्माघाट इलाके में है। 

3. Saubhagya Gauri (सौभाग्य गौरी)

तीसरे दिन सौभाग्य गौरी के दर्शन-पूजन का महात्मय है। देवी का विग्रह ज्ञानवापी क्षेत्र स्थित सत्यनारायण मंदिर के अंदर स्थित है। नव दुर्गा के क्रम में तीसरे दिन चंद्रघंटा देवी के दर्शन-पूजन की मान्यता है। इनका मंदिर चौक क्षेत्र में है।

4. Shringar Gauri (श्रृंगार गौरी)

चौथे दिन शृंगार गौरी के पूजन की मान्यता है। इन भगवती का विग्रह ज्ञानवापी परिसर में स्थित है। शक्ति के उपासक इस दिन कूष्मांडा देवी की आराधना करेंगें। मां दुर्गा का मंदिर दुर्गाकुंड क्षेत्र में स्थित है।

5. Vishalakshi Gauri (विशालाक्षी गौरी)

पांचवें दिन विशालाक्षी गौरी का दर्शन-पूजन होता है। देवी के इस स्वरूप का विग्रह मीरघाट क्षेत्र में धर्मकूप इलाके में अवस्थित है। शक्ति के उपासक इस दिन स्कंद माता के स्वरूप में विराजित मां बागेश्वरी देवी का पूजन अर्चन करेंगे। देवी का मंदिर जैतपुरा इलाके में स्थित है।

6. Lalita Gauri (ललिता गौरी)

छठें दिन ललिता गौरी के दर्शन-पूजन का महत्व है। भगवती के इस रूप का विग्रह ललिता घाट क्षेत्र में है। नवदुर्गा के दर्शन-पूजन के क्रम में छठवें दिन शक्ति के उपासक कात्यायनी देवी का दर्शन-पूजन करेंगे। देवी का मंदिर संकठा गली में आत्म विशेश्वर मंदिर में है।

7. Bhavani Gauri (भवानी गौरी)

सातवें दिन भवानी गौरी के दर्शन-पूजन की मान्यता है। देवी के इस रूप का विग्रह विश्वनाथ गली में श्रीराम मंदिर में है। शक्ति के उपासक इस दिन कालरात्रि देवी का पूजन अर्चन करेंगे। कालरात्रि देवी का मंदिर कालिका गली में स्थित है।

8. Mangala Gauri (मंगला गौरी)

आठवें दिन माता के गौरी स्वरूप के मंगला गौरी के पूजन-अर्चन का विधान है। इनका मंदिर पंचगंगा घाट इलाके में है। शक्ति के उपासक इस दिन महागौरी की अभ्यर्थना करेंगे। यह मंदिर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के समीप माता अन्नपूर्णा के मंदिर के रूप में विख्यात है।

9. Mahalaxmi Gauri (महालक्ष्मी गौरी)

नौवें दिन भगवती के गौरी स्वरूप में महालक्ष्मी गौरी के पूजन का महात्मय है। इनका मंदिर लक्सा क्षेत्र में लक्ष्मीकुंड पर स्थित है। शक्ति के उपासक इस दिन शक्ति की अधिष्ठात्री देवी सिद्धदात्री देवी का दर्शन-पूजन करते हैं। इनका मंदिर सिद्धेश्वरी गली, चंद्रकूप पर स्थित है।


For the benefit of Kashi residents and devotees:-

From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey 

Kamakhya, Kashi 8840422767 

Email : sudhanshu.pandey159@gmail.com


काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-                                                   

प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय                              कामाख्याकाशी 8840422767                          ईमेल : sudhanshu.pandey159@gmail.com


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