Physical Structure of Lord Vishweshwar (Vishwanath)

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Physical Structure of Lord Vishweshwar (Vishwanath) 
विश्वेश्वर (विश्वनाथ) जी की लिंगात्मक भौतिक संरचना 

(KKH-33 : 167-172)

यां दृष्ट्वापि नरो दूरात्कृत्तिवासः पदं लभेत् ।। सर्वेषामपि लिंगानां मौलित्वं कृत्तिवाससः ।। १६७ ।।

ॐकारेशः शिखा ज्ञेया लोचनानि त्रिलोचनः ।। गोकर्णभारभूतेशौ तत्कर्णौ परिकीर्तितौ ।।१६८।।

विश्वेश्वराविमुक्तौ च द्वावेतौ दक्षिणौ करौ ।। धर्मेशमणिकर्णेशौ द्वौ करौ दक्षिणेतरौ ।। १६९ ।।

कालेश्वरकपर्दीशौ चरणावतिनिर्मलौ ।। ज्येष्ठेश्वरो नितंबश्च नाभिर्वै मध्यमेश्वरः ।। ११७० ।।

कपर्दोस्य महादेवः शिरोभूषा श्रुतीश्वरः ।। चंद्रेशो हृदयं तस्य आत्मा वीरेश्वरः परः ।। १७१ ।।

लिंगं तस्य तु केदारः शुक्रं शुक्रेश्वरं विदुः ।। अन्यानि यानि लिंगानि परः कोटि शतानि च ।। १७२ ।।

सभी लिंगों में मुखिया होने का श्रेय कृतिवासों का है। ओंकारेश्वर शिखा हैं। त्रिलोचन तीन नेत्रों का निर्माण करते हैं। गोकर्ण और भारभूतेश की महिमा कानों के समान की जाती है। विश्वेश्वर और अविमुक्त, दो दाएं हाथ हैं। धर्मेश और मणिकर्णेश, दो बाएं हाथ हैं। कालेश्वर और कपर्दिश दो निष्कलंक पवित्र चरण हैं। ज्येष्ठेश्वर नितम्ब है और मध्यमेश्वर नाभि है। महादेव कपर्द (जटा) हैं। श्रुतीश्वर (भगवान की श्रुति हैं) मुकुट-रत्न हैं। चंद्रेश इनका हृदय है। आत्मा महान वीरेश्वर है। केदार लिंग है शुक्रेश्वर वीर्य हैं। लाखों-करोड़ों अन्य लिंग नख, केश और शरीर के आभूषण के रूप में है


For the benefit of Kashi residents and devotees:-

From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey 

Kamakhya, Kashi 8840422767 

Email : sudhanshu.pandey159@gmail.com


काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-                                                   

प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय

कामाख्याकाशी 8840422767

ईमेल : sudhanshu.pandey159@gmail.com


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