Hatkeshwar (हाटकेश्वर)

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Hatkeshwar
हाटकेश्वर

दर्शन माहात्म्य : चैत्र शुक्ल पक्ष, चतुर्दशी

काशीखण्डः अध्यायः १००

   गोकर्णेश्वरमभ्यर्च्य हाटकेशमथो व्रजेत् ।। अस्थिक्षेप तडागे च दृष्ट्वा वै कीकसेश्वरम् ।। ८३ ।।
भारभूतं ततो नत्वा चित्रेगुप्तेश्वरं ततः ।। चित्रघंटां प्रणम्याथ ततः पशुपतीश्वरम् ।। ८४ ।।
पितामहेश्वरं गत्वा ततस्तु कलशेश्वरम् ।। चंद्रेशस्त्वथ वीरेशो विद्येशोग्नीश एव च ।।८५।।
नागेश्वरो हरिश्चंद्रश्चिंतामणिविनायकः ।। सेनाविनायकश्चाथ द्रष्टव्यः सर्वविघ्नहृत् ।। ८६ ।।

निम्नलिखित का दर्शन, पूजन करते हुए उन्हें नमन करना चाहिए: गोकर्णेश्वर, हाटकेश्वर, कीकशेश्वर उस झील में जहाँ अस्थियाँ डाली जाती हैं (अस्थिक्षेप), भारभुतेश्वर, चित्रगुप्तेश्वर, चित्रघण्टा, पशुपतिश्वर, पितामहेश्वर, कलशेश्वर, चंद्रेश्वर, वीरेश्वर, विद्येश्वर, अग्निशेश्वर, नागेश्वर , हरिश्चंद्रेश्वर, चिंतामणि विनायक और सेना विनायक, सभी बाधाओं को दूर करने वाले।

स्कंद पुराण काशी खंड के अनुसार पूर्व में यहां एक झील थी जिसमें अस्थियां डाली जाती थी। उस समय इसका नाम अस्थिक्षेप कुंड था। जिसका विस्तार वर्तमान के राजदरवाजा तक था। वर्तमान में कुंड लुप्त हो चुका है। पुराने नाम को आगे जारी रखते हुए हड्डी को हाड़ (बोलचाल की भाषा में) कहा जाने लगा और कुंड पाटकर यात्रियों के ठहरने का वयवसाय पनपा जिसके कारण इसने सराय का रूप ले लिया अतः हड्डी का हाड़ और सराय मिलकर हाड़हा या हड़हा सराय (विकृत) नाम हुआ। 

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हाटकेश्वर का मूल मंदिर दाल मंडी में स्थित है। (FOLLOW GPS)
The original temple of Hatkeshwar is situated in Dal Mandi. (FOLLOW GPS)

For the benefit of Kashi residents and devotees:-

From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey 

Kamakhya, Kashi 8840422767 

Email : sudhanshu.pandey159@gmail.com


काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-                                                   

प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय

कामाख्याकाशी 8840422767

ईमेल : sudhanshu.pandey159@gmail.com


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