Virupaksha Gauri
विरूपाक्ष गौरी
विरूपाक्ष गौरी
स्कन्दपुराणम्/खण्डः_४_(काशीखण्डः)/अध्यायः_०७०
॥ स्कंद उवाच ॥
ततो
गौरीं विरूपाक्ष देवयान्या उदग्दिशि ॥ पूजयित्वा नरो
भक्त्या वांछितां लभते श्रियम् ॥
३६ ॥
तत्पश्चात्
भक्तियुक्त मनुष्य को देवयानी देव्यानिश्वर लिङ्ग (शुक्र पुत्री) की
उत्तर दिशा में विरूपाक्ष रूप में गौरी की
पूजा करनी चाहिए। उसे
मनचाहा वैभव प्राप्त होता
है।
शैलेश्वरी
समभ्यर्च्या शैलेश्वर समीपगा ॥ तर्जयंती च
तर्जन्या संसर्गमुपसर्गजम् ॥ ३७ ॥
चित्रकूपे
नरः स्नात्वा विचित्रफलदे नृणाम् ॥ चित्रगुप्तेश्वरं वीक्ष्य
चित्रघंटां प्रपूज्य च ॥ ३८
॥
बहुपातकयुक्तोपि
त्यक्तधर्मपथोपि वा ॥ न
चित्रगुप्तलेख्यः स्याच्चित्रघंटार्चको नरः ॥ ३९
॥
योषिद्वा
पुरुषो वापि चित्रघंटां न
योर्चयेत् ॥ काश्यां विघ्नसहस्राणि
तं सेवंते पदेपदे ॥४०॥
चैत्रशुक्लतृतीयायां
कार्या यात्रा प्रयत्नतः ॥ महामहोत्सवः कार्यो
निशि जागरणं तथा ॥ ४१
॥
महापूजोपकरणैश्चित्रघंटां
समर्च्य च ॥ शृणोति
नांतकस्येह घंटां महिषकंठगाम् ॥ ४२ ॥
शैलेश्वरी
(पार्वती) की पूजा करनी
चाहिए, जो शैलेश्वर (शिवजी)
के समीप विराजमान हैं।
वे अपनी तर्जनी (अंगुली)
से संसर्गजन्य (सांसारिक) और उपसर्गजन्य (आकस्मिक)
संकटों को दूर करती
हैं। चित्रकूप में स्नान करके
तथा मनुष्यों को विचित्र (अद्भुत)
फल प्रदान करने वाले चित्रगुप्तेश्वर
का दर्शन करे। फिर चित्रघंटा
की पूजा अवश्य करनी
चाहिए। चित्रघंटा की पूजा करने
वाला मनुष्य चाहे वह बहुत
पापों से युक्त हो,
चाहे धर्म के मार्ग
से विचलित हो— फिर भी
चित्रगुप्त के लेख (पाप-पुण्य का लेखा) में
नहीं आता। स्त्री हो
या पुरुष, यदि कोई काशी
में चित्रघंटा की पूजा नहीं
करता, तो उसे प्रत्येक
कदम पर हजारों विघ्नों
का सामना करना पड़ता है।
चैत्र मास के शुक्ल
पक्ष की तृतीया तिथि
को विशेष यात्रा (तीर्थाटन) का आयोजन करना
चाहिए। उस दिन महामहोत्सव
मनाना चाहिए तथा रात्रि में
जागरण (शिव-पार्वती की
भक्ति में रातभर जागृत
रहना) करना चाहिए। महापूजा
के विधि-विधान से
चित्रघंटा की अर्चना करके,
जो व्यक्ति महिष (भैंस) के कंठ से
निकलने वाली उस घंटा
की ध्वनि को सुनता है,
वह यमराज के भय से
मुक्त हो जाता है।
विरुपाक्ष गौरी का स्थान कॉरिडोर के लिए नष्ट करके परिवर्तित किया जा चुका है।
ORIGINAL PLACE : 25.31083955762514, 83.01055576039934
MOVED PLACE : 25.310683542640927, 83.01095408867525
For the benefit of Kashi residents and devotees : -
From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey - Kamakhya, Kashi
From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey - Kamakhya, Kashi
काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-
प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय - कामाख्या, काशी
प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय - कामाख्या, काशी
॥ हरिः ॐ तत्सच्छ्रीकृष्णार्पणमस्तु ॥