Lakshmi Narasimha (लक्ष्मीनृसिंह, लक्ष्मी नरसिम्हा)

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Lakshmi Narasimha
लक्ष्मीनृसिंह, लक्ष्मी नरसिम्हा

दर्शन महात्म्य : नरसिंह जयंती (वैशाख शुक्ल पक्ष, चतुर्दशी)

जिस दिन भगवान नृसिंह ने हिरण्यकश्यप का वध करके भक्त प्रहलाद के जीवन की रक्षा की, उस दिन को नरसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है।

काशीखण्डः अध्यायः ६१

मुने लक्ष्मीनृसिंहोस्मि तीर्थे तन्नाम्नि पावने  दिशामि भक्तियुक्तेभ्यः सदानैः श्रेयसीं श्रियम् २०

हे ऋषि, मैं इस नाम (लक्ष्मीनृसिंह) के पवित्र तीर्थ में लक्ष्मीनृसिंह हूँ। भक्तियुक्त को मैं सदैव मोक्ष की महिमा प्रदान करता हूँ।

ॐ वज्रनखाय विद्महे तीक्ष्ण दंष्ट्राय धीमहि तन्नो नरसिंह प्रचोदयात

ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्। नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम् ॥
हे क्रुद्ध एवं शूर-वीर महाविष्णु, तुम्हारी ज्वाला एवं ताप चतुर्दिक फैली हुई है। हे नरसिंहदेव, तुम्हारा चेहरा सर्वव्यापी है, तुम मृत्यु के भी यम हो और मैं तुम्हारे समक्षा आत्मसमर्पण करता हूँ।

लक्ष्मीनृसिंह : चौथे अवतार के रूप में श्री हरि एक खंबे से प्रकट हुए थे। जिस समय वो प्रकट हुए थे न तो उस समय दिन था और न रात थी। न ही वो मनुष्य थे और न संपूर्ण पशु। अपने संपूर्ण क्रोध से उन्होंने संसार को उग्रवीर की संज्ञा दी। भयानक दिखने वाला विष्णु का ये रूप आधा शेर और आधा मनुष्य के रूप में अवतरित हुआ था। वैसे तो हर अवतार में लक्ष्मी भी विष्णु के साथ अवतरित होती हैं परंतु इस अवतार में विष्णु का क्रोध और उनका चेहरा इतना भयानक था जिसे देखकर लक्ष्मी अपने धाम को लौट गई थी।


इस अवतार में उनके मुख से आग निकल रही थी तथा उनके दांत और पंजे खून से सने थे। इसी कारण इन्हें ज्वलंत सर्वोत्तम मुखम कहा गया है। विष्णु का यह अवतार मृत्यु को भी मात देता है। दशावतार के इस चौथे अवतार को भगवान विष्णु का नृसिंह अवतार कहा जाता है। इन्हें देखकर धबराई हुई लक्ष्मी वापिस भी लौट आई तब भगवान नृसिंह ने अपनी जंघा पर लक्ष्मी को बैठा कर उन्हें आसन दिया और इसी रूप में भगवान का लक्ष्मी नृसिंह रूप संसार के सामने आया। 


नृसिंह विग्रह के शास्त्रों ने 10 भेद बताए हैं उसमें से नवा भेद लक्ष्मी नृसिंह का है।


नरसिंह विग्रह के दस प्रकार: उग्र नरसिंह,क्रोध नरसिंह, मलोल नरसिंह, ज्वल नरसिंह, वराह नरसिंह, भार्गव नरसिंह, करन्ज नरसिंह, योग नरसिंह, लक्ष्मी नरसिंह, छत्रावतार नरसिंह/पावन नरसिंह/पमुलेत्रि नरसिंह।

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लक्ष्मी नरसिम्हा K.20/159, राज मंदिर, दक्षिण मुखी (एक आंख वाले) हनुमान जी मंदिर के अंदर गाय घाट पर स्थित है। यह मंदिर काशी व्यायामशाला/सुबोधिनी विद्या मंदिर के पास है।
Lakshmi Narasimha K.20/159, Raj Mandir, Dakshin Mukhi (one eyed) Hanuman ji is located inside the temple at Gai Ghat. This temple is near Kashi Vyayamshala/Subodhini Vidya Mandir.

For the benefit of Kashi residents and devotees:-

From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey 

Kamakhya, Kashi 8840422767 

Email : sudhanshu.pandey159@gmail.com


काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-                                                   

प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय

कामाख्याकाशी 8840422767

ईमेल : sudhanshu.pandey159@gmail.com


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