॥ अष्टभैरव ध्यानम् ॥
असिताङ्गोरुरुश्चण्डः क्रोधश्चोन्मत्तभैरवः। कपालीभीषणश्चैव संहारश्चाष्टभैरवम् ॥
स्कन्दपुराण : काशीखण्ड
।। संहारभैरवः काश्यां संहरेदघसंततिम् ।।
काशी में संहारभैरव पापों की श्रृंखला का संहार कर देते हैं।
भैरवाद्भैरवी मूर्तिरत्रायाता मनोहरा । संहारभैरवो नाम द्रष्टव्यः स प्रयत्नतः ।।
सुन्दर मूर्ति (छवि, रूप) भैरवी, पवित्र स्थान भैरव से यहाँ आई हैं। इनका नाम संहारभैरव है। इनकी परिश्रमपूर्वक दर्शन-पूजन करना चाहिए।
अष्ट भैरव- भैरव शिवजी के ही प्रतिरूप हैं। वस्तुत: शिवजी और भैरव में कोई अन्तर नहीं है। अत: भैरव की उपासना भी शिवजी की उपासना के समान फल देने वाला है। शिवमहापुराण में भैरव को परमात्मा शंकर का ही पूर्णरूप बताते हुए लिखा गया है – भैरव: पूर्णरूपोहि शंकरस्य परात्मन:। मूढास्तेवै न जानन्ति मोहिता:शिवमायया॥
भैरव के स्वरूप : - श्री भैरव के शरीर का रंग श्याम है। उनकी चार भुजाएँ हैं जिनमें वे त्रिशूल, खड्ग, खप्पर तथा नरमुण्ड धारण करते हैं। अन्य मतानुसार वे एक हाथ में मोर पंखों का चंवर भी धारण करते हैं। उनका वाहन श्वान (कुत्ता) है। उनकी वेशभूषा लगभग शिवजी के समान है। शरीर पर भस्म, मस्तक पर त्रिपुण्ड, नग्न या बाघम्बर धारण किए, गले में मुण्ड माला और सर्पो से शोभायमान रहते हैं। भैरव श्मशान वासी हैं। ये भूत-प्रेत योगिनियों के अधिपति हैं। भक्तों पर स्नेहवान और दुष्टों का संहार करने में सदैव तत्पर रहते हैं। हर प्रकार के कष्टों को दूर करके बल, बुद्धि, तेज, यश, धन तथा मुक्ति प्रदान करने के कारण इनकी विशेष प्रसिद्धि है। श्री भैरव के अन्य रूपों में ‘महाकाल भैरव’ तथा ‘बटुक भैरव’ मुख्य हैं।
असिताङ्गोरुरुश्चण्डः क्रोधश्चोन्मत्तभैरवः। कपालीभीषणश्चैव संहारश्चाष्टभैरवम् ॥
अष्ट प्रधान भैरव के रूप में जिन आठ नामों की प्रसिद्धि है वे इस प्रकार हैं-
- असिताङ्ग भैरव,
- रूरू भैरव
- चण्ड भैरव,
- क्रोधन भैरव,
- उन्मत्त भैरव,
- भयंकर (भीषण) भैरव,
- कपाली भैरव,
- संहार भैरव,
For the benefit of Kashi residents and devotees:-
From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey - Kamakhya, Kashi
काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-
प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय - कामाख्या, काशी