Aashapura Devi
आशापुरा देवी
स्कन्दपुराण : काशीखण्ड
एषा मंदाकिनी नाम दीर्घिका पुण्यतोयभूः । यस्यां कृतोदका मर्त्या मर्त्यलोके विशंति न ।।
असावाशापुरी देवी या स्तुता त्रिपुरारिणा । त्रिपुरं जेतुकामेन मंदाकिन्यास्तटे शुभे ।।
।। याद्यापि पूजिता मर्त्यैराशां पूरयतेर्थिनाम् ।।
यह मंदाकिनी नामक कुंड है, जो पुण्यमय पवित्र जल का भंडार है। यहां सभी जल-संस्कार करने वाले मनुष्य पुन: नश्वर संसार में प्रवेश नहीं करते हैं। मंदाकिनी के भव्य तट पर यह देवी आशापुरी हैं। जब त्रिपुरारी (शिव) त्रिपुर पर विजय पाने के इच्छुक थे, तब उन्होंने इनकी स्तुति की थी। आज भी जब मनुष्यों द्वारा उसकी आराधना की जाती है, तो वह याचकों की आशाओं और महत्वाकांक्षाओं को पूरा करती है।
भारतवर्ष में अन्यत्र : आशापुरा माता के दो प्रमुख मंदिर है एक राजस्थान के नाडोल (जिला पाली मे), तो दूसरा गुजरात के कच्छ (भुज) में। आशापुरा माता को कच्छ के प्रमुख देवी-देवताओं में से एक माना जाता है। आशापुरा माता को कई समुदायों द्वारा कुलदेवी के रूप में माना जाता है, और मुख्यत: नवानगर, राजकोट, मोरवी, गोंडल बारिया राज्य के शासक वंश चौहान, जडेजा राजपूत, कच्छ, की कुलदेवता है। गुजरात में आशापुरा माता का मुख्य मंदिर कछ में माता नो मढ़ (भुज से 95 किलोमीटर दूर) पर स्थित है। वहां पर कछ के गोसर और पोलादिया समुदाय के लोग भी आशापुरा माता को अपनी कुलदेवता मानते हैं।
For the benefit of Kashi residents and devotees:-
From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey - Kamakhya, Kashi
काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-
प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय - कामाख्या, काशी