Jayanteshwar
जयन्तेश्वर
स्कन्दपुराण : काशीखण्ड
संप्राप्तमिह देवेशं जयंतं मधुकेश्वरात् । लंबोदराद्गणपतेः पुरस्तात्तदवस्थितम् ।।
जयंतेश्वरमालोक्य स्नात्वा गंगाजले शुभे । प्राप्नुयाद्वांछितां सिद्धिं सर्वत्र विजयी भवेत् ।।
देवेश, जयन्त नामक लिंग पवित्र स्थान मधुकेश्वर से यहाँ आये हैं। यह गणपति लम्बोदर के सामने स्थित है। जो व्यक्ति गंगा के पवित्र जल में पवित्र स्नान करता है और जयन्त के दर्शन करता है, उसे वांछित चमत्कारी शक्तियाँ प्राप्त होती हैं। वह सर्वत्र विजयी होगा।
काशी में एक और जयन्तेश्वर का वर्णन मिलता है। यद्यपि यह दोनों ही लिंग देवराज इंद्र के पुत्र जयंत द्वारा स्थापित किए गए हैं परंतु इनका स्थान भिन्न है..
तद्दक्षिणे श्रेयसे च लिंगं स्यान्मालतीश्वरम् ।। हस्तीश्वरादुत्तरे तु जयंतेशो जयप्रदः ।।
..इसके दक्षिण में स्थित मालतीश्वर लिंग कल्याण के लिए अनुकूल है। हस्तीश्वर के उत्तर में स्थित जयन्तेश विजय प्रदान करता है।
For the benefit of Kashi residents and devotees:-
From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey - Kamakhya, Kashi
काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-
प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय - कामाख्या, काशी