Bhrigukeshav (भृगुकेशव)

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Bhrigukeshav

भृगुकेशव

स्कन्दपुराण : काशीखण्ड

दत्तात्रेयेश्वरात्पूर्वमेष आदि गदाधरः । भृगुकेशवनामासावेष वामनकेशवः ।।

दत्तात्रेयेश्वर के पूर्व में, यह आदिगदाधर हैं। ये भृगुकेशव हैं और ये वामनकेशव हैं।

भृगुकेशवपूर्वेण तीर्थं वै भार्गवं परम् । तत्र स्नातो नरः प्राज्ञो भवेद्भार्गववत्सुधीः ।।

महान भार्गव तीर्थ भृगुकेशव के पूर्व में है। जो मनुष्य वहां पवित्र स्नान करता है, वह एक बुद्धिमान व्यक्ति बन जाता है, जो कि भार्गव के समान उत्कृष्ट बुद्धि वाला व्यक्ति होता है।

तत्रैव भार्गवे तीर्थे भृगुकेशव नामतः । काशीनिवासिनः पुंसो बिभर्मि च मनोरथैः ।।

वहीं, भार्गव तीर्थ में, भृगुकेशव के नाम से मैं काशी में रहने वाले मनुष्यों की अभिलाषाओं को पूरा करता हूँ।


महर्षि भृगु

ब्रह्मा जी ने अपने मन से १० पुत्रों को जन्म दिया जिन्हें मानसपुत्र कहा जाता है। श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार ये मानसपुत्र हैं- अत्रि, अंगरिस, पुलस्त्य, मरीचि, पुलह, क्रतु, भृगु, वसिष्ठ, दक्ष, और नारद हैं। इन ऋषियों को प्रजापति भी कहते हैं। महर्षि भृगु ब्रह्मा जी के नौ मानस पुत्रों में अन्यतम हैं। एक प्रजापति भी हैं और सप्तर्षियों में इनकी गणना है। सुप्रसिद्ध महर्षि च्यवन इन्हीं के पुत्र हैं प्रजापति दक्ष की कन्या ख्याति देवी को महर्षि भृगु ने पत्नी रूप में स्वीकार किया, जिनसे इनकी पुत्र-पौत्र परम्परा का विस्तार हुआ। महर्षि भृगु की संतान होने के कारण ऋचीक, जमदग्नि, परशुराम को भार्गव कहा जाता है। महर्षि जमदग्नि ऋचीक के पुत्र और भगवान परशुराम के पिता थे। 

महर्षि भृगु के वंशज 'भार्गव' कहलाते हैं। महर्षि भृगु तथा उनके वंशधर अनेक मन्त्रों के द्रष्टाहैं। ऋग्वेद में उल्लेख आया है कि कवि उशना (शुक्राचार्य) भार्गव कहलाते हैं। कवि उशना भी वैदिक मन्त्रद्रष्टा ऋषि हैं। ऋग्वेद के नवम मण्डल के 47 से 49 तथा 75 से 79 तक के सूक्तों के ऋषि भृगु पुत्र उशना ही है। इसी प्रकार भार्गव वेन, सोमाहुति, स्यूमरश्मि, भार्गव, आर्वि आदि भृगुवंशी ऋषि अनेक मन्त्रों के द्रष्टा ऋषि हैं। ऋग्वेद में पूर्वोक्त वर्णित महर्षि भृगु की कथा तो प्राप्त नहीं होती, किंतु इनका तथा इनके वंशधरों का मन्त्रद्रष्टा ऋषियों के रूप में ख्यापन हुआ है। यह सब महर्षि भृगु की महिमा का ही विस्तार है।

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भृगुकेशव नंदेश्वर घाट (गोला घाट के उत्तर) की सीढ़ियों पर स्थित हैं।
Bhrigukeshava is situated on the steps of Nandeshwar Ghat.

For the benefit of Kashi residents and devotees:-

From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey - Kamakhya, Kashi


काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-                                                   

प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय - कामाख्याकाशी



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