Kulstambh (कुलस्तंभ, लाट भैरव)

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Kulstambh

कुलस्तंभ, लाट भैरव

दर्शन महात्म्य :  भाद्रपद, अमावस्या एवं पूर्णिमा

स्कंदपुराण काशीखंड में वर्णित दो स्तंभ है। जिनमें से एक कुलस्तंभ तथा दूसरा महाश्मशानस्तंभ, यह दो स्तंभ काशी में अत्यंत महत्वपूर्ण है। कुलस्तंभ जहां काल भैरव काशी में पाप करने वालों को भयंकर यातनाएं देते हैं। स्तंभ को लोक भाषा में लाट कहा जाता है। काल भैरव का यातना देने का स्थान होने के कारण स्थान का नाम "लाट भैरव" पड़ा। महाश्मशानस्तंभ जिसमें भगवान उमामहेश्वर एक साथ विराजमान है। काशी के श्मशान में प्राणियों को मुक्ति एवं मोक्ष प्रदान करते हैं। महाश्मशानस्तंभ काशी में जलासेन घाट के निकट है।

काशी के पञ्च प्रमुख तीर्थ स्थान..

(i) कपालमोचन, (ii) पापमोचन,  (iii) ऋणमोचन,  (iv) कुलस्तंभ,  (v) वैतरणी

अयं हि स कुलस्तंभो यत्र श्रीकालभैरवः । क्षेत्रपापकृतः शास्ति दर्शयंस्तीव्रयातनाम् ।।

अन्यत्र विहितं पापं नश्येत्काशीनिरीक्षणात् । काश्यां कृतानां पापानां दारुणेयं तु यातना ।।

यह वह कुलस्तम्भ (स्थिर स्तंभ) है जहाँ श्री कालभैरव पवित्र स्थान के भीतर रहने वाले पापियों को गंभीर यातनाएँ देते हुए दंडित करते हैं। अन्यत्र किया हुआ पाप काशी के दर्शन से नष्ट हो जाता है। परंतु: काशी में किए गए पापों के लिए दी गई यातना अत्यंत भयानक है।

नभस्य पंचदश्यां च कुलस्तंभं समर्चयेत् । दुःखं रुद्रपिशाचत्वं न भवेद्यस्य पूजनात् ।।

भाद्रपद (अगस्त-सितंबर) माह के पंद्रहवें दिन भक्त को कुलस्तंभ की पूजा करनी चाहिए। इनकी पूजा से दुख और रुद्रपिशाच स्थिति दूर होगी। (उनके लिए जो अनभिज्ञ पाप करते हैं। जो भिज्ञ पाप करते हैं, उनकी सद्गति कदापि नहीं है।)

तत्र पापं न कर्तव्यं दारुणा रुद्रयातना । अहो रुद्रपिशाचत्वं नरकेभ्योपि दुःसहम् ।।

ब्रह्मा जी कहते हैं - वहां (काशी में) कोई भी पाप नहीं करना चाहिए। रुद्रों की यातना अत्यंत भयानक होती है। ओह, रुद्रपिशाच होने की स्थिति अत्यंत असहनीय है, नरक के कष्टों से भी अधिक।

पापमेव हि कर्तव्यं मतिरस्ति यदीदृशी । सुखेनान्यत्र कर्तव्यं मही ह्यस्ति महीयसी ।। 

अपि कामातुरो जंतुरेकां रक्षति मातरम् । अपि पापकृता काशी रक्ष्या मोक्षार्थिनैकिका ।। 

परापवादशीलेन परदाराभिलाषिणा । तेन काशी न संसेव्या क्व काशी निरयः क्व सः ।।

यदि मन कोई पाप करने पर आमादा हो तो आराम से कहीं और भी पाप कर सकते हैं। पृथ्वी बहुत विशाल है। कामातुर प्राणी भी अपनी माँ से दूर रहता है। यदि कोई पापकर्ता मोक्ष चाहता है तो उसे काशी से ही बचना चाहिए। दूसरों की निंदा करने के आदी व्यक्ति और दूसरे की पत्नी के साथ व्यभिचार की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को काशी का सहारा नहीं लेना चाहिए। कहाँ काशी और कहाँ वह नरक? (दोनों में कितना बड़ा अंतर है!)


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कुलस्तंभ लाट भैरव पर स्थित है।
The Kulstambha is situated on Lat Bhairav.

For the benefit of Kashi residents and devotees:-

From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey - Kamakhya, Kashi


काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-                                                   

प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय - कामाख्याकाशी


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