Varuna Sangameshwar (वरुणा संगमेश्वर)

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Varuna Sangameshwar 
वरुणा संगमेश्वर

लिङ्गपुराणम् - पूर्वभागः/अध्यायः ९२
नद्येषा वरुणा देवि पुण्या पापप्रमोचनी। क्षेत्रमेतदलंकृत्य जाह्नव्या सह संगता ॥८७॥
स्थापितं ब्रह्मणा चापि संगमे लिंगमुत्तमम्। संगमेश्वरमित्येवं ख्यातं जगति दृश्यताम् ॥८८॥
संगमे देवनद्या हि यः स्नात्वा मनुजः शुचिः। अर्चयेत्संगमेशानं तस्य जन्मभयं कुतः ॥८९॥
श्रीभगवान महादेव कहते हैं : हे महादेवी! यह पवित्र वरुणा नदी पापों से मुक्ति दिलाती है। यह नदी इस पवित्र वाराणसी क्षेत्र को अलंकृत करती हुई गंगा से एकाकार हो जाती है। इस संगम पर ब्रह्मा द्वारा एक उत्कृष्ट लिंग की स्थापना की गई है। इसे संसार में (वरुणा) संगमेश्वर के नाम से जाना जाता है। यदि कोई व्यक्ति दिव्य नदी गंगा एवं वरुणा के संगम पर स्नान कर पवित्र हो (वरुणा) संगमेश्वर की पूजा करता है तो उसे पुनर्जन्म से भय की क्या आवश्यकता है?
स्कन्दपुराणम्/खण्डः_४_(काशीखण्डः)/अध्यायः ६१
॥ स्कंद उवाच ॥
शृण्वगस्त्य महर्षे त्वं कथ्यमानं मयाधुना॥ माधवेन यथाचक्षि मुनये चाग्निबिंदवे ॥३॥
स्कंद ने उत्तर दिया: हे महर्षि अगस्त्य, सुनो कि मैं अब क्या कह रहा हूँ, जैसा कि माधव ने ऋषि अग्निबिन्दु को बताया था।
॥ बिंदुमाधव उवाच ॥
आदौ पादोदके तीर्थे विद्धि मामादिकेशवम् । अग्निबिंदो महाप्राज्ञ भक्तानां मुक्तिदायकम् ॥ ४ ॥
अविमुक्तेऽमृते क्षेत्रे येर्चयंत्यादिकेशवम् । तेऽमृतत्वं भजंत्येव सर्वदुःखविवर्जिताः ॥ ५ ॥
संगमेशं महालिंगं प्रतिष्ठाप्यादिकेशवः । दर्शनादघहं नृणां भुक्तिं मुक्तिं दिशेत्सदा ॥ ६ ॥
बिंदुमाधव (भगवान विष्णु) ने कहा: हे परम बुद्धिमान अग्निबिंदु, प्रारंभ में मुझे पादोदक तीर्थ में आदिकेशव के रूप में जानो, जो भक्तों को मोक्ष प्रदान करता है। जो लोग अमर, अमृतमय पवित्र स्थान अविमुक्त में आदिकेशव की पूजा करते हैं, वे सभी दुखों से मुक्त होकर अमरत्व प्राप्त करते हैं। अपने दर्शन मात्र से ही मनुष्यों के पापों का नाश करने वाले महान संगमेश (वरुणा संगमेश्वर) महालिंग की स्थापना कर आदिकेशव सदैव सांसारिक सुख और मोक्ष प्रदान करते हैं।



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वरुणा संगमेश्वर आदिकेशव घाट पर स्थित है।
Varuna Sangameshwar is situated at Adikeshav Ghat.

For the benefit of Kashi residents and devotees:-

From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey - Kamakhya, Kashi


काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-                                                   

प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय - कामाख्याकाशी


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