Jal Linga and Jalasen Ghat

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Jal Linga and Jalasen Ghat
जल लिंग और जलासेन घाट

आइए जानते हैं कि जलासेन घाट का नाम कैसे पड़ा.....

जलासेन का अर्थ : जल में जो हो आसीन 

काशीखण्डः अध्यायः ६९

पुण्यजलप्रियं लिंगं जललिंगस्थलादपि ।।आयातं तच्च गङ्गाया जलमध्ये व्यवस्थितम्।। १६१ ।।
तत्प्रासादोऽद्भुततरो मध्ये गंगं निरीक्ष्यते ।। सर्वधातुमयः श्रेष्ठः सर्वरत्नमयः शुभः ।। १६२ ।।
अद्यापि दृश्यते कैश्चित्पुण्यसंभारगौरवात् ।। श्रेष्ठं लिंगमिहायातं तीर्थात्कोटीश्वरादपि ।। १६३ ।।
जल लिंग को जल प्रिय है। यह स्थल लिंग से अधिक पुण्यदायी है। यह वहां से आया है और गंगा के जल के मध्य में स्थापित हो गया है। इसका पवित्र स्थान बहुत ही अदभुत है। यह गंगा के मध्य में दिखाई देता है। यह बहुत उत्कृष्ट है और इसमें सभी धातुएँ हैं। यह भव्य है और सभी रत्नों से भरा है।

संचित पुण्यों के भार के कारण आज भी इसे कुछ ही लोग देखते हैं।

जलासेन घाट के ठीक सामने जल तत्व रूपी शिवलिंग जो गंगा के मध्य आसीन है। इनका दर्शन अति दुर्लभ है एवं महान पुण्य आत्माएं ही इनका दर्शन माता गंगा की कृपा से कर पाती हैं। अतः जल में आसीन होने के कारण और शिवलिंग का नाम जल लिंग होने के कारण स्थान विशेष या घाट का नाम जलासेन घाट पड़ा।  

अधिक जानकारी के लिए श्री काशी खंड की वेबसाइट kashikhand.blogspot.com पर जाकर आप काशी खंड के अन्य मंदिरों एवं उनके महत्व के विषय में पढ़ सकते हैं

For the benefit of Kashi residents and devotees:-

From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey 

Kamakhya, Kashi 

Email : sudhanshu.pandey159@gmail.com


काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-                                                   

प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय

कामाख्याकाशी

ईमेल : sudhanshu.pandey159@gmail.com



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