Brahmnaleshwar
(ब्रह्मनालेश्वर)
काशी के समस्त तीर्थों में महादेव अधिष्ठात्र देव के रूप (शिवलिंग) में विद्यमान रहते है। ब्रह्मनाल के समीप भगवान महादेव अधिष्ठात्र देव ब्रह्मनालेश्वर महादेव के स्वरूप में अवस्थित है। इस क्षेत्र में किसी मृत जीव की यदि हड्डी भी गिर जाए तो वह भी संसार चक्र से मुक्त हो जाता है। पुनः जन्म नहीं लेता है। यह पूरा क्षेत्र भगवान विष्णु की नाभि से निकले कमल की नाल जिस पर ब्रह्मा जी विराजमान है। ब्रह्मनाल के नाम से जाना जाता है।
काशीखण्डः अध्यायः ६१
ब्रह्मनालं परं तीर्थं त्रिषु लोकेषु विश्रुतम् । तत्संगमे नरः स्नात्वा कोटिजन्म मलं हरेत् ।। ५५ ।।
ब्रह्मनाले पतेद्येषामपि कीकसमात्रकम् । ब्रह्मांडमंडपांतस्ते न विशंति कदाचन ।। ५६ ।।
ब्रह्मनाल एक परम तीर्थ है जो तीनों लोकों में प्रसिद्ध है। इसके संगम में पवित्र स्नान करने से मनुष्य एक करोड़ जन्मों की अशुद्धियों को दूर कर देता है। यदि ब्रह्मनाल में एक हड्डी भी गिर जाए तो वे जिव कभी भी लौकिक अंडे के मंडप (संसार) में प्रवेश नहीं करते।
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ब्रह्मनालेश्वर महादेव मणिकर्णिका की तरफ जाती गली (मोहल्ला ब्रह्मनाल) दाएं तरफ छोटे से एक मंदिर में स्थित है।
Brahmanaleshwar Mahadev is located in a small temple on the right side of the street (Mohalla Brahmanal) leading to Manikarnika.
For the benefit of Kashi residents and devotees:-
From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey
Kamakhya, Kashi 8840422767
Email : sudhanshu.pandey159@gmail.com
काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-
प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय
कामाख्या, काशी 8840422767
ईमेल : sudhanshu.pandey159@gmail.com