Dhootpapeshwar
(धूतपापेश्वर)
स्कन्दपुराण : काशीखण्ड
कृते धर्मनदं नाम त्रेतायां धूतपापकम् ।। द्वापरे बिंदुतीर्थं च कलौ पंचनदं स्मृतम्।। ५९.१३६ ।।
कृतयुग में तीर्थ का नाम धर्मनद है; त्रेता में यह धूतपापक है; द्वापर में यह बिंदु तीर्थ है एवं कलियुग में इसे पञ्चनद के रूप में याद किया जाता है।
किरणा धूतपापे च तस्मिन्धर्मनदे शुभे ।। स्रवंत्यौ पापसंहर्त्र्यौ वाराणस्यां शुभद्रवे ।। ५९.११३ ।।
किरणा और धूतपापा शुभ धर्मनद में आते हैं। वाराणसी की ये दोनों नदियाँ अपने पवित्र जल से समस्त पापों को नष्ट कर देती हैं।
न धूतपाप सदृशं तीर्थं क्वापि महीतले ।। यदेकस्नानतो नश्येदघं जन्मत्रयार्जितम् ।। ५९.१३९ ।।
पृथ्वी पर कहीं भी धूतपापा की तरह कोई तीर्थ नहीं है जहां एक ही पवित्र डुबकी तीन जन्मों के संचित पापों को नष्ट कर देती है।
पञ्चनदीसमाहारे तच्च काशीस्थनदीपञ्चकरूपं तीर्थं
किरणाधूतपापे च तस्मिन् धर्मनदे शुभे । स्रवन्त्यौ पापसंहर्त्त्र्यौ वाराणस्यां शुभद्रवे ।।
ततो भागीरथीप्राप्ता तेन दैलीपिना सह । भागीरथी समायाता यमुना च सरस्वती ।।
किरणा धूतपापा च पुण्यतीर्थे सरस्वती । गङ्गा च यमुना चैव पञ्च नद्यः प्रकीर्त्तिताः ।।
अतः पञ्चनदं नाम तीर्थं त्रैलीक्यविश्रुतम्
GPS LOCATION OF THIS TEMPLE CLICK HERE
For the benefit of Kashi residents and devotees:-
From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey
Kamakhya, Kashi 8840422767
Email : sudhanshu.pandey159@gmail.com
काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-
प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय
कामाख्या, काशी 8840422767
ईमेल : sudhanshu.pandey159@gmail.com