Asi Sangameshwar
असि संगमेश्वर
स्कन्दपुराण : अम्बिकाखण्ड
।। सनत्कुमार उवाच ।।
मम प्रियमिदं स्थानं ज्ञात्वा लिङ्गः प्रतिष्ठितम्। शैलेश्वरमितिख्यातं दृश्यतामिदमास्थितम् ।।
दृष्ट्वेदं मनुजो देवि न दुर्गतिमनुव्रजेत्। नदी वाराणसी चेयं पुण्या पापप्रमोचनी ।।
क्षेत्रमेतदलंकृत्य जाह्नव्या सह संगता। स्थापितं संगमे चास्मिन् ब्रह्मणा लिङ्गमुत्तमम् ।।
संगमेश्वर इत्येवं' ख्यातं जगति दृश्यताम्। संगमे देवनद्योस्तु यः स्नात्वा मनुजः शुचिः ।।
अर्चयेत् संगमेशानं तस्य जन्मभयं कुतः। इदमन्यद् बृहत् क्षेत्रं निवासं योगिनां परम् ।।
आपके पिता पर्वतों के राजा हिमवान् ने काशी में शिवलिंग स्थापना का महात्म्य जानकर मेरी (शिव) प्रसन्नता के लिये वहाँ (काशी में) एक लिंग स्थापित किया था। जिन्हे शैलेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। इसे सम्मान की दृष्टि से देखा जाए। हे सौम्य देवी! इस स्थान पर जाने से किसी पर विपत्ति नहीं आती और ना ही उसका नाश होता है।
हे देवी, वरुणा और असि नदी अत्यंत शुभ है, जो मनुष्य को उसके सभी पापों से मुक्ति दिलाती है। इस स्थान को अलंकृत करने के पश्चात यह दोनों नदियां गंगा में मिल जाती है। इन नदियों के संगम पर ब्रह्मा ने शिवलिंग की स्थापना की थी जो संसार में (असि) संगमेश्वर के नाम से विख्यात है। इन दिव्य नदियों के संगम पर स्नान करने से मनुष्य पवित्र हो जाता है। यदि वह उसके पश्चात संगमेश्वर शिवलिंग की पूजा करता है, तो पुनर्जन्म का क्या औचित्य।
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असि संगमेश्वर अस्सी घाट पर श्रीनाथजी के मंदिर के समीप स्थित है।
Asi Sangameshwar is situated near Shrinathji's temple at Assi Ghat.
For the benefit of Kashi residents and devotees:-
From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey - Kamakhya, Kashi
काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-
प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय - कामाख्या, काशी