Shri Aashapurna Hanuman Ji
मंगलमूर्ति मारुती नंदन। सकल अमंगल मूल निंकंदन॥
पवनतनय संतन हितकारी। ह्रदय बिराजत अवध बिहारी॥
मातु पिता गुरु गणपति सारद। सिवासमेत संभु सुक नारद॥
चरण बंदि बिनवौ सब काहू। देहि रामपदनेहनिबाहू॥
बंदौ रामलखनबैदेही। जे तुलसीके परम सनेही॥
काशीखंडोक्त - काशीतीर्थ की सिद्ध भूमि मीरघाट क्षेत्र में जहाँ भगवान श्रीविष्णु श्वेत माधव स्वरुप में, भगवान शिव जरासंधेश्वर रूप में, भगवान ढुंढिराज गणपति आशा विनायक स्वरुप में विराजमान रहते हैं। ऐसी पवित्र तपोस्थली मीरघाट पर सदियों पूर्व तपस्यारत एक ब्रह्मचारी ने भक्तों के रक्षक एवं कलयुग के देवता हनुमान जी के आशापूर्ण रूप की स्थापना की। यह स्थान उस काल में काशी के एक पवित्र अखाड़े के रूप में भी विख्यात था। आशापुर्ण हनुमान जी की आराधना कर कई शिवभक्त पहलवान बने।
ब्रह्मचारी का अर्थ
सर्व प्रथम ब्रह्मचारी है कौन इस पर विचार करते हैं। ब्रह्म + आचारी अर्थात ब्रह्म की भाँति जो आचरण करे या ब्रह्म द्वारा दिखाये गए पथ पर जो चले उसे ही ब्रह्मचारी कहा जाता है। ब्रह्मचारी का अर्थ है इंद्रियों और विचारों पर पूर्ण सँयम (नियंत्रण नहीं), विकारों पर संपूर्ण अधिकार। सँयम का अभिप्राय इंद्रियों का दमन नहीं अपितु उनका यथोचित एवं संयमित सदुपयोग भी है।
ब्रह्मचारी का बहुत हल्का अर्थ लिया जाने लगा है जैसे कि किसी स्त्री के साथ संसर्ग ना करना या स्त्री से दूर रहना।
ब्रह्मचारी का अर्थ है कि किसी स्त्री को स्पर्श करने पर भी मेरे मन में कोई विकार ना उत्पन्न हो। मुझे उसकी सेवा करते समय मेरा मन कलुषित ना हो तो मैं ब्रह्मचारी हूँ। मुझे ब्रह्म के स्पर्श की अनुभूति हो तो मैं ब्रह्मचारी हूँ। ये अनुभूति मुझे कभी भी किसी के साथ हो सकती है यदि मैं और मेरा मन विकारों के ऊपर संपूर्ण अधिकार रखता हूँ।
हनुमान विवाहित थे तो ब्रह्मचारी कैसे हुए?
हाँ हनुमान ने विवाह तो किया था सूर्य पुत्री सुवर्चला के संग, क्योंकि हनुमान जी को कुछ विद्या अर्जित करनी थी सूर्य देव से और वो विद्या को पाने का अधिकारी वही था जो विवाहित हो। सुवर्चला एक तपस्वनी थीं जिन्होंने अपने पिता की आज्ञा एवं निर्देशवश हनुमान से पाणिग्रहण तो किया किंतु कभी भी उन दोनो ने दंपति की भाँति साथ जीवन नहीं बिताया। हनुमान जी विवाहित होकर भी ब्रह्मचारी बने रहे कारण स्वयं अब आपको स्पष्ट हो चुका है। व्यक्ति विवाहित होकर भी ब्रह्मचारी हो सकता है यदि वह विकारों और विचारों का सँयम बनाये रख सके।
आशापूर्णा हनुमान मीर घाट पर डी.3/71 पर स्थित हैं।
Ashapurna Hanuman is located at D.3/71, Meer Ghat.
For the benefit of Kashi residents and devotees:-
From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey - Kamakhya, Kashi
काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-
प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय - कामाख्या, काशी
॥ हरिः ॐ तत्सच्छ्रीकृष्णार्पणमस्तु ॥