Chagvaktreshwari(छागवक्त्रेश्वरी)छाग : बकरा/बकरी, वक्त्र : मुख
काशीखण्डः अध्यायः ७०
छागवक्त्रेश्वरी देवी दक्षिणे वृषभध्वजात् ।। अहर्निशं भक्षयति विघ्नौघतरुपल्लवान्।। ।। ७४ ।।वृषभध्वज के दक्षिण में देवी छागवक्त्रेश्वरी हैं। वह दिन-रात विघ्नों के समूह के वृक्षों की कोंपलें खा जाती है।
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वृषभध्वजेश्वर महादेव (कपिलधारा) के परिसर में छागवक्त्रेश्वरी देवी हैं।Chagvaktreshwari Devi in the premises of Vrishabhadhwajeshwar Mahadev (Kapildhara).
For the benefit of Kashi residents and devotees:-
From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey - Kamakhya, Kashi
काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-
प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय - कामाख्या, काशी
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वृषभध्वजेश्वर महादेव (कपिलधारा) के परिसर में छागवक्त्रेश्वरी देवी हैं।
Chagvaktreshwari Devi in the premises of Vrishabhadhwajeshwar Mahadev (Kapildhara).
For the benefit of Kashi residents and devotees:-
From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey - Kamakhya, Kashi
काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-
प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय - कामाख्या, काशी