Maharaj Vinyak
महाराज विनायक (बड़ा गणेश)
स्कन्दपुराण : काशीखण्ड
सर्वसिद्धिप्रदश्चासौ महाराजविनायकः ।। विनायकाः प्रणश्यंति यस्मै प्रणमतां नृणाम् ।। ६७.१७५ ।।
असौ सिद्धेश्वरस्योच्चैः प्रासादः कांचनोज्ज्वलः ।। रत्नध्वजपताकाश्च सिद्धिः स्याद्यद्विलोकनात् ।। ६७.१७६ ।।
यह देवता महाराज विनायक सभी सिद्धियों के दाता हैं। यदि मनुष्य उन्हें प्रणाम करते हैं तो उनकी बाधाएं नष्ट हो जाती हैं। यह सिद्धेश्वर का ऊंचा महल है जो सोने से चमकता है और इसमें रत्न जड़ित ध्वजदंड और पताकाएं हैं। इस देवता के दर्शन से सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।
भ्रांतियां : यहां यह बात ध्यान देने वाली है कि महाराज विनायक (बड़ा गणेश) को कुछ दशकों से वक्रतुंड विनायक के नाम से लेख आधारित विद्वानों ने घोषित कर रखा था। जबकि काशीखंड में मन्दाकिनी के पश्चिम तट पर महाराज विनायक विराजते है यह स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है।
वक्रतुंड विनायक चौसट्ठी घाट पर स्थित है। जानने के लिए लेख पढ़ें : CLICK HERE
For the benefit of Kashi residents and devotees:-
From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey - Kamakhya, Kashi
काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-
प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय - कामाख्या, काशी