दुर्गा मंदिर
अग्रवाल भवन, ब्रह्मा घाट, वाराणसी
वाराणसी के ब्रह्मा घाट मोहल्ले में ब्रह्मचारिणी देवी मंदिर के सामने ७० वर्ष पूर्व भवन निर्माण के दौरान भवन स्वामी नन्हकू माडीवाल (अग्रवाल परिवार) द्वारा देवी स्वरुप की यह प्रतिमा भवन की एक दिवार पर सीमेंट एवं बालू प्रयोग कर उकेरवाई (बनवाई) गयी थी। जिन्हे नन्हकू माडीवाल के परिवार के लोग ७० वर्ष से श्रद्धा-भक्ति पूर्वक माँ दुर्गा स्वरुप में पूजते आ रहे हैं। वर्तमान में उक्त परंपरा का निर्वहन उनके पौत्र राजेश अग्रवाल व परिवार द्वारा किया जा रहा है।
काशी में मंदिरों को ऐतिहासिक एवं पौराणिक क्यों कहा जाता है : किसी धाम (तीर्थ) के वे मंदिर पौराणिक मंदिर कहे जाते हैं जिनका वर्णन १८ पुराणों में मिलता है। प्रायः पौराणिक मंदिर सतयुग, त्रेतायुग एवं द्वापर के होते हैं। यहाँ यह भी ध्यान देना है कि पौराणिक मंदिर अर्थात पौराणिक देव विग्रह, हर काल खंड में मंदिर बनते एवं बिगड़ते है परन्तु विग्रह एवं स्थान नहीं बदलता है। ऐतिहासिक का अर्थ प्रायः द्वापरयुग के पश्चात कलियुग से है।
For the benefit of Kashi residents and devotees:-
From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey - Kamakhya, Kashi
काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-
प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय - कामाख्या, काशी