Manasarovareshwar
मानसरोवरेश्वर
पुराणों के अनुसार मानसरोवर झील की उत्पत्ति : - सनक, सनंदन, सनातन एवं सनत कुमार कैलाश पर्वत पर शिव शंकर को प्रसन्न करने के लिए तपस्या कर रहे थे, उसी काल में 12 वर्षों तक वर्षा न होने के कारण सारी नदियां सूख गयी थी, और इन ऋषियों को स्नान आदि करने के लिए बहुत दूर मंदाकिनी तक जाना पड़ता था। ऋषियों की प्रार्थना पर ब्रह्माजी ने अपने मानसिक संकल्प से कैलाश पर्वत के निकट एक सरोवर का निर्माण किया और बाद में स्वयं हंसरूप में होकर इसमें प्रवेश किया था। इस प्रकार यह झील सर्वप्रथम भगवान ब्रह्मा के मन में उत्पन्न हुआ था। इसी कारण इसे 'मानस मानसरोवर' कहते हैं। मानसरोवर संस्कृत के मानस (मस्तिष्क) और सरोवर (झील) शब्द से बना है। जिसका शाब्दिक अर्थ होता है - मन का सरोवर। मान्यता है कि ब्रह्ममुहुर्त (प्रात:काल 3-5 बजे) में देवतागण यहां स्नान करते हैं।
स्कन्दपुराण : काशीखण्ड
अत्रामृतस्रवा गंगा महामोहांधकारहृत् । अनेकजन्मजनित जाड्यध्वंसविधायिनी ।। ५१ ।।
सरसा मानसेनात्र पूर्वं तप्तं महातपः । अतस्तु मानसं तीर्थं जने ख्यातिमिदं गतम् ।। ५२ ।।
यहां अमृतश्रवा (अमृत बरसाने वाली) गंगा महान भ्रम के अंधेरे को दूर करती है। यह जन्म-जन्मान्तर में उत्पन्न अज्ञान को नष्ट कर देती है। पवित्र मानसरोवर झील ने (मानव रूप में काशी आकर) पूर्व में हरपाप तीर्थ में घोर तपस्या की थी। इसलिए लोगों के बीच यह मानस (मानसरोवर) तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध हो गया है।
For the benefit of Kashi residents and devotees:-
From : Mr. Sudhanshu Kumar Pandey - Kamakhya, Kashi
काशीवासी एवं भक्तगण हितार्थ:-
प्रेषक : श्री सुधांशु कुमार पांडेय - कामाख्या, काशी